2014-04-27 15:31:00

येसु का घाव ईश प्रेम का प्रतीक


वाटिकन सिटी, 27 अप्रैल, 2017 (सेदोक,वीआर) संत घोषणा समारोह के पावन अवसर पर 27 अप्रैल रविवार को संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में आयोजित यूखरिस्तीय समारोह में संत पापा फ्राँसिस ने लाखों की संख्या में प्रवचन देते हुए कहा, "पास्का अठवारा के समापन पर पड़नेवाले रविवार का केन्द्रबिन्दु है जीवित येसु का महिमामय घाव जिसे संत जोन पौल द्वितीय ने ईश्वरीय दिव्य दया को समर्पित किया था।"

येसु ने अपने महिमामय घाव को अपने पुनरुत्थान के बाद चेलों को दिखलाया था। और जब येसु ने अपने घाव को अपने चेले थोमस को दिखलाया तब उसने कहा था, "मेरे प्रभु, मेरे ईश्वर।

साधारणतः येसु का घाव एक अपमान है, विश्वास के मार्ग की बाधा है फिर यह कहा जा सकता है यह विश्वास के मार्ग की एक परीक्षा है। यही कारण है कि येसु के पावन शरीर से वे घाव कदापि लुप्त नहीं होते हैं क्योंकि वे ईश्वरीय प्रेम के स्पष्ट प्रतीक हैं।

घावों का होना ईश्वरीय प्रेम को पहचानने के लिये ये अति आवश्यक है। ऐसा इसलिये नहीं कि हम विश्वास करें कि ईश्वर उपस्थित है पर इसलिये कि ईश्वर मानव को प्यार करता है। इसीलिये इसायस नबी लिखते हैं कि उनके घाव से तुम्हें चंगाई प्राप्त हुई है।

जोन पौल द्वितीय और जोन तेइसवें दोनों येसु के घावों को देखकर भयभीत नहीं थे, ठीक इसके विपरीत उन्होंने येसु के हाथ में कील से हुए घाव को और उसकी छेदित छाती को गले लगाया। उन्हें येसु के लिये कोई लज्ज़ा नहीं थी न ही उनका क्रूस उनके लिये अपमानजनक था।

ऐसा इसलिये क्योंकि उन्होंने प्रत्येक पीड़ित व्यक्ति के संघर्ष में येसु के पहचान पाया था। दोनों जन ऐसे महान व्यक्ति रहे जो साहस और पवित्र आत्मा से ओत-प्रोत थे इसलिये उन्होंने येसु की दया और अच्छाई का साक्ष्य पूरी दुनिया को दिया।

उन्हें दुनिया एक पुरोहित, धर्माध्यक्ष और 20वीं सदी के संत पापाओं के रूप में याद करेगी। उन्होंने पूरी शताब्दी के उथल-पुथल घटनाओं के साथ अपना जीवन जीया पर कभी निराश नहीं हुए क्योंकि उनका शक्तिशाली ईश्वर उनके साथ था। उनके लिये समस्यायें ईश्वर की दया, प्रभु में विश्वास और येसु के उन पाँच घावों की ताकत अधिक शक्तिशाली थी।

उनके लिये पास्का पर्व की आशा और खुशी सबकुछ थी जिसे उन्होंने जीवित येसु से पाया था।

द्वितीय वाटिकन महासभा में संत जोन तेइसवें और जोन पौल द्वितीय ने पूर्ण रूप से पवित्र आत्मा का साथ दिया ताकि पूरी कलीसिया का नवीनीकरण हो सके।

संत जोन पौल द्वितीय चाहते थे कि उन्हें ‘परिवार के संत पापा’ रूप में याद किया जाये। संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि परिवार के लिये विशेष सभा का आयोजन किया जा रहा है और निश्चय ही संत जोन पौल द्वितीय स्वर्ग से हमारी मदद करेंगे।

संत पापा फ्राँसिस ने आशा व्यक्त की दोनों संत और भले गड़ेरिये कलीसिया के लिये ईश्वर से प्रार्थना करेंगे ताकि कलीसिया येसु के घाव के लिये अपमानित न हो पर दिव्य दया के क्रियाकलापों में जुड़े जो सदा ही दूसरों को क्षमा देती और आशा से पूर्ण होकर सबों को गले लगाती है।









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