जेस्विट संत होसे अंकियेता के लिये धन्यवादी मिस्सा संत इग्नासियुस चर्च में संपन्न
रोम, शुक्रवार 25 अप्रैल 2014 (सेदोक,वीआर) संत पापा फ्राँसिस ने 24 अप्रैल को रोम के
संत इग्नासियुस लोयोला गिरजाघर में ब्राजील के प्रेरित रूप में विख्यात संत होसे दे अंकियेता
के संत बनाये जाने की खुशी में यूखरिस्तीय बलिदान अर्पित किया।
धन्यवादी यूखरिस्तीय
अनुष्ठान में 9 कार्डिनल, 30 धर्माध्यक्ष बड़ी संख्या में पुरोहित और ब्राजीलवासियों
ने हिस्सा लिया।
मालूम हो कि संत होसे अंकियेता के संत पापा फ्राँसिस ने ‘इक्वीभालेन्ट’
या समकक्ष संत घोषणा प्रक्रिया द्वारा 3 अप्रैल को संत घोषित किया था। ऐसी प्रक्रिया
में सामान्य प्रक्रिया से हटकर व्यक्ति को संत घोषित कर दिया जाता है और धन्य के प्रति
सम्मान और आराधना को विश्वव्यापी कलीसिया के लिये खोल दिया जाता है।
स्पेन निवासी
संत होसे अंकियेता सन् 1553 ईस्वी में एक मिशनरी रूप में ब्राजील में कार्य किया। ब्राजील
निवासियों के इतिहास में उनका अहम स्थान हैं।
संत होसे को ब्राजील के दो मह्त्वपूर्ण
शहर सावो पौलो और रियो दे जनेइरो के संस्थापक रूप में माना जाता है। संत होसे अंकियेता
को धर्मप्रचारकों का संरक्षक संत भी घोषित किया गया। संत पापा ने अपने प्रवचन
में कहा, "कलीसिया का विस्तार तब होता है जब ख्रीस्तीय येसु को प्राप्त कर आनन्द और उत्साह
से उसे दूसों को बाँटता है। एक ख्रीस्तीय समुदाय की शुरुआत कदापि नहीं हो सकती है यदि
यह प्रेरितिक आनन्द से आरंभ न किया जाये।" उन्होंने कहा कि आज हमारे लिये चुनौती
है उस चमत्कार को लोगों के समक्ष प्रस्तुत कर पाना की जो येसु से मिलने के बाद प्राप्त
नवजीवन से होती है। संत पापा ने कहा कि संत होसे अंकियेता एक युवा येसु समाजी रूप
में जानते थे कि एक मिशनरी रूप में येसु से प्राप्त आनन्द को किस तरह से बाँटना है। उन्हें
आनन्द से कोई भय नहीं था। उन्होंने अपने जीवन में येसु की निगाह को पहचाना और उसके प्रेम
से सराबोर हो सत्य पथ पर अग्रसर हुए। यही उसकी पवित्रता है। संत होसे ने ब्राजील के स्थानीय
जनजातियों की भाषा तुपी का व्याकरण लिखा और कई प्रार्थनाओं और गीतों का अनुवाद भी किया।
संत पापा ने माता मरिया के सम्मान में संत होसे अंकियेता द्वारा रचित एक गीत को उद्धृत
करते हुए कहा कि हम अपनी कमजोरियों का त्याग कर तैयार हो जायें और उस शांति और आनन्द
के सहभागी बनें जिसे पुनर्जीवित येसु देते हैं।