वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 24 अप्रैल 2014 (वीआर सेदोक)꞉ संत पापा फ्राँसिस ने 24 अप्रैल
को, वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मार्था के प्रार्थनालय में पवित्र मिस्सा अर्पित
की। उन्होंने प्रवचन में कहा, ″कुछ ऐसे ख्रीस्तीय हैं जो पुनरुत्थान के आनन्द को
जिसे येसु हमें देना चाहते हैं लेने से डरते हैं। उनका जीवन दफन क्रिया में भाग लेने
वालों के समान होता है किन्तु प्रभु सदा हमारे साथ हैं।″ संत पापा ने संत लूकस रचित
सुसमाचार पाठ पर चिंतन किया जहाँ एम्माउस नामक गाँव में पुनर्जीवित ख्रीस्त ने चेलों
को दर्शन देकर शांति का अभिवादन किया था। संत पापा ने कहा, ″आनंदित होने के बजाय
चेले विस्मित और भयभीत थे, यह समझकर कि वह कोई प्रेत होगा। उन्होंने जो देखा था उस सच्चाई
को समझाने हेतु येसु उन्हें अपने शरीर का स्पर्श कराते तथा रोटी तोड़कर देते हैं। वे
उन्हें आनन्दित करने का प्रयास करते हैं किन्तु चेले उस आनन्द पर विश्वास करने से हिचकिचाते
हैं क्योंकि वे आनन्द से भयभीत थे। संत पापा ने कहा कि यह ख्रीस्तियों की एक बीमारी
है, हम आनन्द से डरते हैं। हमें चिंतन करने की आवश्यकता है कि ख्रीस्त जी उठे हैं वे
हमारे साथ हैं। लोग ख्रीस्त की करीबी से भय खाते हैं क्योंकि वे उन्हें आनन्द प्रदान
करते हैं। अतः ऐसे लोगों का जीवन दफन क्रिया में भाग लेने वाले लोगों के समान हो जाता
है। वे आनन्द से अधिक उदासी पसंद करते हैं। उन जानवरों के समान जो रात में ही बाहर निकलते
हैं। संत पापा ने कहा, ″किन्तु ख्रीस्त हमें पुनरुत्थान की खुशी प्रदान करते हैं।
उनका नजदीकी से अनुसरण करने की खुशी। कई बार हम घबरा जाते हैं, यह सोचकर कि येसु स्वर्ग
चले गये हैं ऐसा नहीं है वे सदा हमारे साथ हैं। वे कहते हैं मुझ पर विश्वास करो कि मैं
जिंदा हूँ तथा तुम मेरे करीब हो। संत पापा ने कहा कि यही सच्चा ख्रीस्तीय जीवन है। हमें
येसु से बात-चीत करना है। येसु हर परिस्थिति में हमारे साथ हैं।″ अंत में, संत पापा
ने प्रार्थना की कि ईश्वर हमारे मन को खोल दे जिससे कि हम सुसमाचार के रहस्य को समझ सकें
तथा यह समझ सकें कि ख्रीस्त सचमुच जीवित हैं, उन्होंने मृत्यु पर विजय प्राप्त की है।
उन्होंने सभी विश्वासियों को आनन्द की कृपा से भय नहीं खाने हेतु प्रार्थना करने की सलाह
दी।