नई दिल्लीः देहली की म्यूज़िकल अकादमी ने नृत्य-नाटिका द्वारा समझाया ईस्टर का अर्थ
देहली, गुड़गाँव, 22 अप्रैल सन् 2014 (पीटीआई): देहली में गुड़गाँव स्थित लॉरेन म्यूज़िकल
अकादमी ने, शनिवार 19 अप्रैल को एक नृत्य नाटिका प्रस्तुत कर ईस्टर यानि प्रभु येसु मसीह
के पुनःरुत्थान महापर्व का अर्थ समझाया।
गुड़गाँव के सेक्टर-44 स्थित एपी
सेंटर में लॉरेन म्यूजिकल अकादमी ने "एन ईस्टर टेल" अर्थात् ईस्टर की एक कहानी शीर्षक
से नृत्य-नाटिका का आयोजन किया था जिसमें स्कूली एवं महाविद्यालयीन छात्रों के साथ-साथ
पेशेवर संगीतज्ञों ने रंगारंग प्रस्तुतियां दी।
ईस्टर सम्बन्धी आनन्द गीत,
वाद्य संगीत तथा नृत्य नाटिका इस रंगारग कार्यक्रम का आकर्षण रही।
इस
अवसर पर नृत्य नाटिका के माध्यम से गुड फ्राइडे, ईस्टर की कहानी और येसु मसीह के बलिदान
एवं पुनःरुत्थान के महत्व पर प्रकाश डाला गया। येसु को लोगों की चिंताओं को दूर करते
हुए, अपने शिष्यों के पैर धोते हुए, नेत्रहीन व्यक्ति को दृष्टिदान देते हुए तथा प्रवचन
करते हुए दर्शाया गया। इसके अतिरिक्त येसु मसीह के जीवन से जुड़े कुछ दृश्यों को भरतनाट्यम
शास्त्रीय नृत्य में भी दिखाया गया। पुराने और नए इस्टर गीत जैसे दी ओल्ड रजड क्रास,
देयर समथिंग देट्स डिफ्रेंट अबाउट हिम, मेरी डिड यू नो आदि गाने प्रस्तुत किए गए।
लॉरेन
म्यूजिक अकादमी के संस्थापक उबरे अलायशियस के अनुसार आत्मा के लिए संगीत भोजन है। उन्होंने
कहा कि जिस तरह अच्छा खाना और अच्छा व्यायाम शरीर को तंदरूस्त रखता है उसी तरह अच्छा
संगीत व्यक्ति को मानसिक, भावनात्मक, बौद्धिक एवं आध्यात्मिक आहार प्रदान करता है। उन्होंने
कहा कि संगीत व्यक्ति की रचनात्मकता में वृद्धि कर उसमें सन्तोष एवं शांति के भाव जगाता
है।