ब्रिटेन, सोमवार 21 अप्रैल, 2014 (बीबीसी) ब्रिटेन को ईसाई देश बताने वाले प्रधानमंत्री
डेविड कैमरन के बयान पर विवाद बढ़ गया है। देश की कई जानी मानी हस्तियों ने आशंका जताई
है कि उनका यह बयान विभाजनकारी हो सकता है।
लेखक सर टेरी प्रैटचेट और फ़िलिप पुलमैन
सहित कई लेखकों, शिक्षाविदों और वैज्ञानिकों ने 'डेली टेलीग्राफ़' को लिखे एक पत्र में
यह दावा किया है।
यह पत्र के उस बयान के बाद आया है जिसमें उन्होंने ज़ोर देकर
कहा है कि ब्रिटेन को "एक ईसाई देश के रूप में अपनी स्थिति के बारे में और अधिक आश्वस्त"
होना चाहिए. डाउनिंग स्ट्रीट की एक प्रवक्ता ने कहा, " एक ईसाई देश है और इसे कहने
में डर नहीं होना चाहिए।"
डेली टेलीग्राफ़ को लिखे गए पत्र में कलाकार टिम मिनशिन,
पत्रकार पॉली टॉनबी, दार्शनिक एसी ग्रेलिंग और प्रस्तोता डैन स्नो सहित 55 जानी मानी
हस्तियों ने इस पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं।
हस्ताक्षर करने वालों में ब्रितानी
मानवतावादी संघ के अध्यक्ष प्रोफ़ेसर जिम अल खलीली प्रमुख हैं।
पत्र में कहा
गया है, "हम प्रधानमंत्री के धार्मिक विश्वासों के अधिकार का सम्मान करते हैं और सच यह
है कि वे राजनेता के रूप में उनके जीवन को प्रभावित करते हैं. हालांकि, हमें ब्रिटेन
का वर्गीकरण एक 'ईसाई देश' के रूप में करने पर आपत्ति है और इससे ब्रिटेन के समाज और
राजनीति में नकारात्मक परिणाम पैदा होते हैं।"
इन हस्तियों का कहना है, "संविधान
के मुताबिक़ देश में स्थापित चर्च है लेकिन ब्रिटेन एक 'ईसाई देश' नहीं है."पत्र में
इन लोगों ने कहा है कि ब्रिटेन मोटे तौर पर एक 'ग़ैर धार्मिक' और एक "बहुलतावादी समाज"
है।
उनका कहना है कि "लगातार इस तरह के दावों से हमारे समाज में अलगाव की भावना
और विभाजन बढ़ता है." पत्र में कहा गया है कि ब्रिटेन के ज़्यादातर लोग नहीं चाहते हैं
कि चुनी हुई सरकार 'धर्म या धार्मिक पहचान की प्राथमिकता तय करे.।'
इस महीने की
शुरुआत में चर्च टाइम्स के एक लेख में कैमरन ने कहा है कि ईसाइयों को अपने मूल्यों की
रक्षा के लिए 'आश्वस्त' होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि इसका यह मतलब नहीं कि अन्य
धर्मों को 'नीचा' दिखाया जाए। प्रधानमंत्री ने ईस्टर संदेश में अपने विश्वास की बात
कहते हुए कहा कि उन्हें ईसाई धर्म में "शांति" मिली है।