वाटिकन सिटीः रोम शहर और विश्व के नाम सन्त पापा फ्राँसिस का पास्का सन्देश
वाटिकन सिटी, 20 अप्रैल सन् 2014 (सेदोक): रविवार, 20 अप्रैल को, पास्का महापर्व के उपलक्ष्य
में, काथलिक कलीसिया के परमाध्यक्ष, सन्त पापा फ्राँसिस ने, रोम स्थित सन्त पेत्रुस महागिरजाघर
के प्राँगण में, पास्का महायाग अर्पित किया तथा इसके बाद सम्पूर्ण विश्व एवं रोम शहर
के नाम अपना विशिष्ट पास्का सन्देश जारी किया।
"ख्रिस्तुस सुरेक्सिट, वेनीते
एत विदेते!"
इन शब्दों से सन्त पापा फ्राँसिस ने रोम शहर तथा सम्पूर्ण विश्व के
नाम अपना पास्का सन्देश जारी किया। उन्होंने कहाः
"अति प्रिय भाइयो एवं बहनो,
ईस्टर मुबारक!"
स्वर्गदूत ने महिलाओं को जो सन्देश दिया था उसे कलीसिया सम्पूर्ण
विश्व में प्रतिध्वनित करती हैः ''डरिए नहीं। मैं जानता हूँ कि आप लोग ईसा को ढूँढ़ रही
हैं, जो क्रूस पर चढ़ाये गये थे। वे यहाँ नहीं हैं। वे जी उठे हैं, जैसा कि उन्होंने कहा
था। आइये और वह जगह देख लीजिए, जहाँ वे रखे गये थे" (दे. मत्ती 28:5-6)।
यह
सुसमाचार का चरमोत्कर्ष है, यह सर्वोत्कृष्ट शुभ समाचार हैः येसु जिन्हें क्रूस पर चढ़ाया
गया था, जी उठे हैं! यह घटना हमारे विश्वास एवं हमारी आशा का आधार है। यदि येसु ख्रीस्त
जी न उठे होते तो ख्रीस्तीय धर्म अपना अर्थ ही खो देता; कलीसिया का सम्पूर्ण मिशन अपना
आवेग खो देता, इसलिये कि यही वह बिन्दु है जहाँ से पहले-पहल उसका उदगम हुआ था और जहाँ
से वह अपने आप को अनवरत नवीकृत करती रहती है।
ख्रीस्त जो सन्देश इस विश्व
को देते हैं वह यह हैः येसु, देहधारी प्रेम, हमारे पापों के लिये क्रूस पर मरे परन्तु
पिता ईश्वर ने उन्हें मुर्दों में से जिलाया तथा उन्हें जीवन एवं मृत्यु के स्वामी बना
दिया। येसु में, प्रेम घृणा पर विजयी हुआ, दया ने पाप को एवं भलाई ने बुराई को पराजित
किया, झूठ पर सत्य की तथा मृत्यु पर जीवन की विजय हुई।
इसीलिये हम सबसे
कहते हैं: "आइये और देखिये!" दुर्बलता, पाप एवं मृत्यु से अंकित प्रत्येक मानव परिस्थिति
में, सुसमाचार केवल शब्दों आडम्बर नहीं है अपितु वह असीम एवं निष्ठावान प्रेम का साक्ष्य
हैः यह स्वतः को पीछे छोड़ने तथा अन्यों के साथ साक्षात्कार का विषय है, उनके समीप रहने
का विषय जो जीवन की कठिनाइयों के बोझ तले दबे हैं, ज़रूरतमन्दों के साथ बाँटने का, रोगियों,
वयोवृद्धों एवं बिरादरी से निकाल दिये गये लोगों के साथ रहने का विषय है....।
सन्त
पापा फ्राँसिस ने आगे कहाः "आइये और देख लीजिये!": प्रेम अधिक शक्तिशाली है, प्रेम जीवन
देता है, प्रेम बंजर भूमि में आशा को प्रस्फुटित करता है। अपने हृदयों में इस आनन्दमय
निश्चितता के साथ, आज हम, पुनर्जीवित प्रभु, आपके प्रति अभिमुख होते हैं!
उस
भुखमरी के अभिशाप को दूर करने में हमारी मदद करें जो संघर्षों तथा भारी अपव्ययिता के
कारण बढ़ गई है तथा जिसके लिये हम ख़ुद ज़िम्मेदार हैं। दुर्बल को, विशेष रूप से, बच्चों,
महिलाओं तथा प्रायः शोषित एवं परित्यक्त वृद्ध व्यक्तियों की मदद करने हेतु हमें सक्षम
बनायें।"
तदोपरान्त सन्त पापा फ्राँसिस ने अफ्रीका के पीड़ितों का स्मरण
करते हुए कहाः "गिनी कोनाक्री, सिएरा लियोन और लाइबेरिया में एबोला महामारी के प्रकोप
से पीड़ित हमारे भाइयों और बहनों की देखभाल हेतु हमें सक्षम बनायें, और उन लोगों की देखरेख
में सक्षम बनायें जो अनेक अन्य बीमारियों से पीड़ित हैं तथा जो प्रायः उपेक्षाभाव एवं
निपट निर्धनता का परिणाम हुआ करती हैं।
उन सबको सान्तवना दें जो यह पास्का
महापर्व नहीं मना सकते हैं इसलिये कि उन्हें अन्यायपूर्ण ढंग से उनके अपने प्रियजनों
से बलात दूर कर दिया कर दिया गया जैसे विश्व के विभिन्न भागों में कितने ही व्यक्तियों,
पुरोहितों एवं लोकधर्मियों का अपहरण कर लिया गया है।
उन सबको प्रभु सान्तवना
दें जिन्होंने बेहतर भविष्य, प्रतिष्ठापूर्ण जीवन और बहुत बार, धर्मपालन की स्वतंत्रता
के अवसर की आशा प्रदान करनेवाले स्थानों के लिये अपनी मातृभूमि का परित्याग कर पलायन
कर लिया है।
हे प्रभु येसु हम आपसे निवेदन करते हैं कि आप सब युद्धों और
हर प्रकार के संघर्षों, चाहे वे बड़े हों अथवा छोटे, पुराने हों या नये सबका अन्त करायें।
सिरिया के लिये हम विशेष रूप से प्रार्थना करते हैं ताकि संघर्ष के दुष्परिणामों
से पीड़ित सभी लोगों को आवश्यक लोकोपकारी सहायता मिल सके तथा कोई भी पक्ष, विशेष रूप
से सुरक्षाविहीन निर्दोष जनता के विरुद्ध फिर कभी जानलेवा बल का प्रयोग न करें इसके बजाय
साहसपूर्वक, दीर्घकाल से प्रतीक्षित, शान्ति समझौता करें।
हम आपसे याचना करते
हैं कि आप ईराक में भ्रातृघातक हिंसा के शिकार लोगों को सान्तवना दें तथा इसराएलियों
एवं फिलीस्तीनियों के बीच वार्ताओं की बहाली से जागी उम्मीदों को बनायें रखें।
केन्द्रीय अफ्रीकी गणराज्य में संघर्षों की समाप्ति का हम आर्त निवेदन करते हैं
तथा नाईजिरिया के कुछ हिस्सों में क्रूर आतंकवादी हमलों एवं दक्षिणी सूडान में जारी हिंसक
कृत्यों को रोकने का आग्रह करते हैं।
हम याचना करते हैं कि वेनेज्यूएला में
पुनर्मिलन एवं भ्रातृत्वपूर्ण सुलह के लिये मनपरिवर्तन हो।
हे प्रभु! आपके
पुनःरुत्थान से, जिसका समारोह हम, इस वर्ष, जूलियन पंचांग का अनुसरण करनेवाली कलीसियाओं
के साथ मना रहे हैं, हम निवेदन करते हैं कि आप यूक्रेन में शांति को प्रोत्साहित करनेवाली
पहलों को प्रबुद्धि एवं प्रेरणा प्रदान करें ताकि अन्तरराष्ट्रीय समुदाय का समर्थन प्राप्त
कर सभी सम्बन्धित पक्ष, हिंसा को रोकने का हर सम्भव प्रयास करें तथा एकता एवं सम्वाद
की भावना में देश के भविष्य की रूपरेखा खीचें।
प्रभु, इस धरती के सब लोगों
के लिये हम आपसे प्रार्थना करते हैं: आपने मृत्यु पर विजय पाई है, अपना जीवन और अपनी
शान्ति हमें प्रदान करें।"
अपना पास्का सन्देश समाप्त करने के उपरान्त सन्त
पापा फ्राँसिस ने सब पर पुनर्जीवित ख्रीस्त की शान्ति और अनुग्रह का आह्वान किया तथा
उपस्थित तीर्थयात्रियों के प्रति मंगलकामनाएँ अर्पित करते हुए कहाः
"अति प्रिय
भाइयो एवं बहनो, विश्व के प्रत्येक क्षेत्र से इस प्राँगण में एकत्र हुए आप सबके प्रति
मैं पास्का की हार्दिक शुभकामनाओं को नवीकृत करता हूँ। विभिन्न राष्ट्रों में सामाजिक
सम्प्रेषण एवं संचार माध्यम द्वारा हमसे जुड़े सब लोगों को भी मैं पास्का की मंगलकामनाएँ
अर्पित करता हूँ। अपने परिवारों एवं अपने समुदायों में आप ये हर्षित उदघोषणा ले जायें
कि ख्रीस्त हमारी शान्ति एवं हमारी आशा फिर जी उठे हैं! आपकी उपस्थिति, आपकी प्रार्थना
एवं आपके द्वारा दिये विश्वास के साक्ष्य के लिये धन्यवाद। नीदरलैण्ड से आये सुन्दर
फूलों के उपहार के लिये का विशेष विचार कर मैं आभार व्यक्त करता हूँ। सभी को पास्का मुबारक!"
अन्त में उन्होंने सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।