2014-04-18 11:01:23

मुम्बईः भारत के ख्रीस्तीयों के लिये ईस्टर एक चुनौती एवं आशा का मिशन, कार्डिनल टोप्पो


मुम्बई, 18 अप्रैल सन् 2014 (एशियान्यूज़): राँची के महाधर्माध्यक्ष, कार्डिनल टेलेस्फोर ने कहा कि भारत के ख्रीस्तीयों के लिये ईस्टर यानि पास्का महापर्व एक चुनौती होने के साथ-साथ आशा का मिशन भी है।


एशियान्यूज़ को ईस्टर महापर्व के उपलक्ष्य में दिये सन्देश में कार्डिनल टोप्पो ने भारतीय ख्रीस्तीय समुदाय से अपील की है कि वह अपने जीवन द्वारा ख्रीस्त की ज्योति का साक्षी बने। उन्होंने कहाः "कलीसिया का दायित्व मानव प्रतिष्ठा की सुरक्षा है, विशेष रूप से, दुर्बलतम लोगों की सुरक्षा।"


कार्डिनल महोदय ने कहा, "भारत जैसे देश में जहाँ निर्धनता अमानवीय स्तर तक पहुँच चुकी है तथा लोग हताशा एवं गहन पीड़ा में जीवन यापन कर रहे हैं ईस्टर भारत के छोटे से ख्रीस्तीय समुदाय के समक्ष एक चुनौती प्रस्तुत करता है। ख्रीस्त के अनुयायियों को लोगों की प्रताड़ना के अन्धकार में ख्रीस्त की ज्योति जगाकर उनमें आशा का संचार करना है।"


कार्डिनल टोप्पो ने कहा कि भारत में, हालांकि, ख्रीस्तीयों की संख्या निम्न है तथापि, वे देश के हर क्षेत्र में उपस्थित हैं, यहाँ तक की दूरस्थ गाँवों में भी ख्रीस्तीयों की उपस्थिति है इसलिये उनके समक्ष प्रस्तुत चुनौती है प्रभु ख्रीस्त की ज्योति को दैदीप्यमान करना।


उन्होंने कहा, "भारत के पीड़ित लोगों में आशा का संचार करना हमारा महान मिशन है ताकि समस्त स्त्री-पुरुष इस बात का एहसास पा लें कि वे ईश प्रतिरूप में सृजित प्राणी हैं और यही उनकी प्रतिष्ठा का स्रोत है।"

इस दृष्टि से, उन्होंने कहा, "कलीसिया का दायित्व मानव प्रतिष्ठा की रक्षा है, विशेष रूप से, सर्वाधिक कमज़ोर व्यक्ति की क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति की प्रतिष्ठा एवं मान मर्यादा समान है, बराबर है तथा हमारे प्रिय देश के नागरिक होने के नाते समान होना हम सबका अधिकार है।"


कार्डिनल टोप्पो ने कहा कि इस वर्ष ईस्टर महापर्व ख्रीस्तीयों के लिये वास्तव में एक चुनौती है इसलिये कि यह आम चुनावों के समय पड़ रहा है। तथापि, उन्होंने कहा, "लोग सत्य की खोज कर रहे हैं तथा हम ख्रीस्तानुयायियों से मांग की जाती है कि हम अपने व्यक्तिगत, पारिवारिक एवं सामुदायिक जीवन में सत्य के साक्षी बनें।









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