वाटिकन सिटी, 16 अप्रैल सन् 2014 (सेदोक): रोम के अनान्यी स्थित परमधर्मपीठीय लियोनियन
काथलिक गुरुकुल के छात्रों से सोमवार को मुलाकात के अवसर पर सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा
कि गुरुकुल हमारी सीमितताओं एवं हमारी कमज़ोरियों का शरण स्थल नहीं है।
सन्त
पापा ने गुरुकुल छात्रों से कहा कि गुरुकुल शिक्षा के साथ साथ प्रार्थना, अध्ययन, मनन
चिन्तन एवं प्रेरितिक प्रशिक्षण का घर है और जो छात्र इसके प्रति समर्पित रहने हेतु तैयार
नहीं हैं उन्हें किसी दूसरे रास्ते को ढूँढ़ने का साहस जुटाना चाहिये।
सन्त
पापा ने कहा, "अपने आप के प्रति एवं अपनी बुलाहट के प्रति हम निष्ठावान रहें तथा सच्चाई
के साथ यह स्वीकार करें कि गुरुकुल हमारी अनेक सीमितताओं, मनोवैज्ञानिक अथवा अन्य कमज़ोरियों
का शरणस्थल नहीं है। गुरुकुल उन लोगों का शरणस्थल नहीं है जो जीवन में आगे बढ़ने का साहस
नहीं जुटा पाते हैं तथा इस भ्रम में पड़े रहते हैं कि गुरुकुल में उनकी रक्षा हो सकती
है। " सन्त पापा ने कहा, "यदि आपका गुरुकुल उस प्रकार का है तो कलीसिया अपने भविष्य
को बन्धक बना रही है।"
उन्होंने इस बात पर बल दिया कि एक काथलिक धर्मानुयायी
ईश्वर एवं कलीसिया की सेवा कई प्रकारों से कर सकता है जिनमें प्रेरितिक पौरोहित्य एक
विशिष्ट बुलाहट है, भले गड़ेरिये येसु के सदृश अपनी भेड़ों के बीच जीने की बुलाहट है।
सन्त पापा फ्राँसिस ने गुरुकुल छात्रों से कहाः "आप अपने पेशे में विकसित होने
के लिये अथवा किसी कम्पनी या दफ्तरशाही संगठन में उच्च पद पाने के लिये प्रशिक्षण नहीं
पा रहे हैं। अनेक पुरोहित हैं जो अपनी बुलाहट के "आधे रास्ते" तक ही जा पायें हैं तथा
दफ्तरशाहियों से अधिक कुछ भी नहीं और यह कलीसिया के लिये अच्छा नहीं है।"
पौरोहित्य
बुलाहट के प्रति समर्पण का आग्रह करते हुए सन्त पापा ने गुरुकुल छात्रों से कहा कि वे
प्रतिदिन प्रार्थना, मनन चिन्तन, बाईबिल पाठ एवं पुनर्मिलन संस्कार द्वारा अपने आप को
तैयार करें ताकि ईश्वर की दया का अनुभव प्राप्त कर स्वयं दयावान एवं उदार पुरोहित बन
सकें।