2014-04-14 10:50:22

चैन्नईः इस्लाम में धर्मान्तरण से सुविधाएँ समाप्त नहीं: अदालत


चैन्नई, 14 अप्रैल सन् 2014 (ऊका समाचार): मद्रास उच्च न्यायालय ने फैसला दिया है कि पिछड़े वर्ग का सदस्य इस्लाम में धर्मान्तरण के बाद भी पिछड़े वर्गों को दी जानेवाली सभी सुविधाओं का हकदार है।
अदालत ने तमिल नाडु की सरकार को भी आदेश दिया है कि वह अधिकारियों को हिदायत दे कि वे इस्लाम धर्म अपनानेवाले पिछड़े वर्ग के सभी लोगों को (बीसी) पिछड़े वर्ग के समुदाय का प्रमाण पत्र जारी करें।
विगत सप्ताह, न्यायमूर्ति डी. हरिपरन्तामन ने कहा, "इस निष्कर्ष पर आने में मुझे कोई हिचक नहीं कि यदि हिन्दू समुदाय के "पिछड़े वर्ग" से सम्बन्धित कोई व्यक्ति इस्लाम धर्म अपनाता है तो उसे सरकारी आदेश अंक 85 की तृतीय सूची के अनुकूल सभी सुविधाएँ उपलब्ध कराई जायें।"
उन्होंने बताया कि उक्त सूची में अन्सार, देक्कानी, डेडूकुला, लाब्बाईस, (जिनमें रावथार एवं माराकायर) मापिल्ला, शेख़ और सैयद , मुसलमान धर्मपंथों के लोग शामिल हैं।
न्यायमूर्ति डी. हरिपरन्तामन ने फरवरी 2010 तथा अगस्त 2012 में ज़िलाधीशों को भेजे गये पत्र में धर्मान्तरित मुसलमानों को बीसी प्रमाण पत्र जारी न किये जाने के आदेश की कड़ी आलोचना की तथा इसे मुसलमानों का उत्पीड़न निरूपित किया। उन्होंने कहा, "धर्मान्तरित मुसलमानों को बी सी प्रमाण पत्र नहीं देना उन्हें उनके मौलिक अधिकारों से वंचित करना है।"
न्यायाधीश महोदय 2006 में इस्लाम धर्म अपनाने वाली नादर जाति की महिला एम यू आरिफ्फा की याचिका पर आदेश जारी कर रहे थे।
सरकारी अधिकारियों ने यह दलील देकर कि इस्लाम धर्म में परिवर्तित होनेवालों को पिछड़े वर्ग के लिये आरक्षित सुविधाएँ नहीं दी जा सकती आरिफ्फा को सरकारी नौकरी से निकाल दिया था जिसके बाद महिला ने अदालत का दरवाज़ा खटखटाया था।










All the contents on this site are copyrighted ©.