वाटिकन सिटी, शनिवार, 12 अप्रैल 2014 (वीआर सेदोक)꞉ संत पापा फ्राँसिस ने शुक्रवार 11
अप्रैल को वाटिकन स्थित क्लेमेन्टीन सभागार में इटली के जीवन समर्थक आयोग से मुलाकात
कर जीवन की पवित्रता एवं उसकी अनुल्लंघनीयता पर बल दिया। उन्होंने संदेश में कहा,
″सभी सामाजिक अधिकार एक मौलिक अधिकार पर आधारित है वह है ‘जीवन का अधिकार’ जो न धन और
न विचारों के किसी शर्त का अधीनस्थ है। संत पापा ने कहा कि आधुनिक युग की सबसे बड़ी
चुनौती है अर्थव्यस्था एवं नैतिक मूल्यों के बीच संतुलन, आज के बाजार जितने अधिक तकनीक
उपकरण उपलब्ध करा रहे हैं उतना ही अधिक नैतिक मूल्यों की अवहेलना हो रही है। अतः जीवन
पर किसी भी प्रकार के सीधा प्रहार को रोका जाना चाहिए विशेषकर निर्दोष एवं निःसहाय लोगों
पर, जिसके ठोस उदाहरण हैं गर्भ में पल रहे निर्दोष बच्चे।″ संत पापा ने द्वितीय वाटिकन
महासभा की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि ″गर्भागमन के क्षण से ही जीवन की रक्षा बड़ी
सावधानी से की जानी चाहिए, जब कि दूसरी ओर, गर्भपात एवं भ्रूण हत्या जघन्य अपराध हैं।
(गौदियुम एत स्पेस. 51) ख्रीस्तीयों के लिए जीवन की रक्षा उसके हर पहलू पर प्यार
एवं धीरज से करना सुसमाचार के साक्ष्य का एक हिस्सा है। संत पापा ने प्रोत्साहन देते
हुए कहा कि लोगों के साथ मित्रता का व्यवहार करें उन्हें स्वीकार करें तथा उन्हें साथ
दें। संत पापा ने गर्भधारण की समस्या से पीड़ित महिलाओं के लिए कार्यरत जीवन समर्थक
″जेम्मा प्रोजेक्ट″ संगठन के कार्यों की सराहना की और उन्हें धन्यवाद दिया।