वाटिकन सिटी, शुक्रवार 11 अप्रैल, 2014 (सीएनए) संत पापा फ्राँसिस ने 10 अप्रैल बृहस्पतिवार
को वाटिकन सिटी स्थित अतिथि निवास सांता मार्था में अपने दैनिक यूखरिस्तीय समारोह में
प्रवचन देते हुए कहा, "विचारों की संकीर्णता की निरंकुशता लोगों की स्वतंत्रता और अंतःकरण
की स्वतंत्रता की हत्या करता है।"
संत पापा ने अपने प्रवचन में उत्पति ग्रंथ
में वर्णित अब्राहम के बारे में चर्चा की जिन्हें ईश्वर ने राष्ट्रों का पिता बनाने की
प्रतिज्ञा की थी। ईश्वर ने अब्राहम से कहा था कि वह राष्ट्रों का पिता होगा पर उसके वंशजों
को ईश्वर के विधान का पालन करना होगा।
संत पापा ने कहा, "उत्पति ग्रंथ में वर्णित
प्रतिज्ञायें संत योहन रचित सुसमाचार में वर्णित येसु और फरीसियों की बातचीत को समझने
में सहायक सिद्ध होती हैं। येसु ने फरीसियों को ‘झूठा’ कहा क्योंकि उन्होंने नबियों की
बातों को अनसुनी कर दी। और इसके बदले उन्होंने येसु को पत्थर से मार डालने का प्रयास
किया।"
संत पापा ने कहा, "फरीसियों की ग़लती है कि उन्होंने नियमों में निहित
गूढ़ बातों को समझने का प्रयास नहीं किया और इसके विपरीत नियमों का अक्षरशः पालन पर बल
दिया।
संत पापा ने कहा कि ये सिर्फ़ ‘ठंढे नियम’ हैं।
उन्होंने कहा,
"यह सब एक बंद ह्रदय और बन्द दिमाग का नाटक है। और जब ह्रदय और मन ही बन्द हैं तो ईश्वर
के लिये कोई स्थान नहीं हैं पर हमारे मन के लिये जगह है, जो वहीं करता है जो वह चाहता
है।"
संत पापा ने कहा, "फरीसियों का ईशशास्त्रीय ज्ञान उन्हें गुलाम बनाया था
जिसमें वार्ता का कोई स्थान नहीं हैँ।"
उन्होंने कहा, "हम सतर्क रहें और प्रार्थना
करें ताकि ईश्वर हमें ह्रदय की स्वतंत्रता प्रदान करे, जो दिव्य वचन को सहर्ष ग्रहण करता
है और ईशविधान के अनुसार आगे बढ़ता है।"