वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 10 अप्रैल 2014 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने बृहस्पतिवार
10 अप्रैल को पौल 6 वें सभागार में, रोम स्थित जेस्विट पुरोहितों द्वारा संचालित परमधर्मपीठीय
ग्रेगोरियन विश्वविद्यालय के शिक्षकों, कार्यकर्ताओं एवं सभी विद्यार्थियों से मुलाकात
कर उनकी ज़िम्मेदारी के प्रति समर्पण के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने उन्हें सम्बोधित
कर कहा, "एक शिक्षक एवं विद्यार्थी रूप में मैं आपके समर्पण पर बल देना चाहता हूँ जिससे
कि रोम की कलीसिया जहाँ आप अध्ययनरत हैं का लाभ उठा सकें क्योंकि यहाँ कलीसिया का इतिहात
है। यह ख्रीस्तीय विश्वास की जड़ है, प्रेरितों एवं शहीदों की पुण्यभूमि है। यह कलीसिया
के सच्चे मार्ग का उदगम स्थल है तथा उदारता एवं विश्व की सेवा में एकता पर टिका है। दूसरी
ओर, आप विभिन्न स्थानों से, वहाँ की संस्कृतियों की विशेषताओं को कलीसिया में लाते हैं।
जो रोमन कलीसिया के लिए एक मुफ्त ख़जाना है। यह विश्वास में बढ़ने तथा काथलिक धर्म के
प्रति उदार बनने हेतु महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है।" संत पापा ने अध्ययन एवं आध्यात्मिक
जीवन पर प्रकाश डालते हुआ कहा कि पढ़ने, पढ़ाने एवं अनुसंधान की बौद्धिक व्यस्तता के
साथ, प्रार्थना एवं अध्ययन में उचित ताल-मेल एक वृहद प्रशिक्षण है जो ख्रीस्त एवं कलीसिया
के प्रेम में बढ़ने के लिए अधिक फलप्रद एवं प्रभावपूर्ण साबित होता है।"
संत
पापा ने कहा कि वर्तमान समय में ज्ञान का हस्तांतरण एवं विद्यार्थियों को जीवन के समझ
की कुँजी प्रदान करना बड़ी चुनौती है। जीवन की बेहतर समझ के लिए उसके सच्चे सुसमाचारी
विश्लेषण की आवश्यकता है। शिक्षण कार्य को संसार एवं मानव का संश्लेषण के रूप में नहीं
किन्तु वास्तविकता की सच्चाई को अनुसंधान की आध्यात्मिक परिस्थिति तथा तर्क एवं विश्वास
के आधार पर समझा जाना चाहिए। संत पापा ने कहा कि कलीसिया के हरेक विश्वविद्यालय में
अध्ययन का उद्देश्य ‘कलीसिया’ होनी चाहिए। सभी अनुसंधानों एवं अध्ययनों को व्यक्तिगत
एवं सामुदायिक जीवन तथा मिशन कार्यों, भ्रातृप्रेम, उदारता, गरीबों के साथ बांटने तथा
ईश्वर के साथ संयुक्ति से जुड़ा होना चाहिए।
यह संस्था ईशशास्त्री एवं दर्शनशास्त्री
उत्पन्न करने का कारखाना न बने किन्तु यह दैनिक जीवन में पारिवारिक वातावरण तैयार करे
तथा मानवता एवं विवेक की भावना उत्पन्न करे जिससे कि विद्यार्थी मानवता का निमार्ण कर
सकें तथा मानव जीवन के विभिन्न पहलूओं में सच्चाई को प्रकट कर सकें। संत पापा ने
अंत में ज्ञान के भंडार माता मरिया तथा संत इग्नासियुस लोयोला एवं संरक्षक संतो की मध्यस्थता
द्वारा प्रार्थना की तथा सभी को अपना प्रेरितिक आर्शीवाद प्रदान किया।