वाटिकन सिटी, बुधवार 9 अप्रैल, 2014 (सेदोक, वी.आर.) बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर
पर संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघऱ के प्राँगण में, विश्व
के कोने-कोने से एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को सम्बोधित किया।
उन्होंने इतालवी
भाषा में कहा, ख्रीस्त में मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, काथलिक कलीसिया की धर्मशिक्षामाला
को जारी रखते हुए हम पवित्र आत्मा के वरदानों पर चिन्तन करें।
पवित्र आत्मा ईश्वर
का वरदान है। यह हमारे ह्रदय और कलीसिया में ईश्वर की उपस्थित हैं। इसायस नबी की भविष्यवाणी
के अनुसार काथलिक कलीसिया परंपरागत रूप से पवित्र आत्मा के सात वरदान के बारे में चर्चा
करती है। प्रज्ञा, समझ, ज्ञान, परामर्श, धैर्य, निष्ठा और ईश्वर का भय।
पवित्र
आत्मा का पहला वरदान प्रज्ञा है। आध्यात्मिक वरदान के रूप में प्रज्ञा एक आन्तरिक प्रकाश
है, एक ऐसी कृपा, जो इस बात के लिये मदद करती है कि हम सब कुछ को ईश्वर की आँखों से देख
सकें और हमारा ह्रदय पवित्र आत्मा की आवाज़ सुन सके।
हम प्रज्ञा के गुण में तब
बढ़ते हैं जब हम ईश्वर से प्रार्थनामय संबंध स्थापित करते हैं। यह हमें कृतज्ञतापूर्ण
आनन्द से सबकुछ में ईश्वर की इच्छा को पहचानने की शक्ति प्रदान करता है।
इस तरह
से ख्रीस्तीय प्रज्ञा ईश्वर के प्रति अलौकिक ‘लगाव’ का फल है। यह एक ऐसी क्षमता है जो
हमें ईश्वर की उपस्थिति, अच्छाई और प्रेम का रसास्वाद कराता है।
आज पूरी दुनिया
को ईश्वर की उपस्थिति के अनुभव करने और इसका साक्ष्य देने की ज़रूरत है।
हम
ईश्वर से प्रार्थना करें कि हम प्रज्ञा के वरदान के लिये पवित्र आत्मा के साथ प्रसन्न
हों और सचमुच ईश्वर की प्रजा बनें तथा उसकी प्रज्ञा और उसके मुक्तिदायी सामर्थ्य के प्रति
पारदर्शी और खुले रहें।
इतना कह कर, संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा समाप्त
की। उन्होंने लोगों पर पवित्र आत्मा के वरदान उतरने के लिये प्रार्थना की तथा सबों को
पुण्य सप्ताह की शुभकामनायें दी।
उन्होंने भारत इंगलैंड, मलेशिया, इंडोनेशिया
वेल्स, वियेतनाम, डेनमार्क, नीदरलैंड, नाइजीरिया, आयरलैंड, फिलीपीन्स, नोर्व, स्कॉटलैंड.
जापान, मॉल्टा, डेनमार्क कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, हॉंन्गकॉंन्ग, अमेरिका और देश-विदेश के
तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों तथा उनके परिवार के सदस्यों को विश्वास में बढ़ने तथा
प्रभु के प्रेम और दया का साक्ष्य देने की कामना करते हुए अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।