प्रेरक मोतीः सन्त जॉन बेपटिस्ट दे ला साल्ले (1651-1719)
सन्त जॉन बेपटिस्ट दे ला साल्ले शिक्षकों के संरक्षक सन्त हैं। फ्राँस स्थित रेम्स
नगर के एक कुलीन परिवार में, 30 अप्रैल सन् 1651 ई. को, जॉन बेपटिस्ट का जन्म हुआ था।
परिवार की दस सन्तानों में आप ज्येष्ठ थे। जॉन बेपटिस्ट की शिक्षा दीक्षा पेरिस में हुई
तथा सन् 1678 ई. में आपका पुरोहिताभिषेक सम्पन्न हुआ। निर्धनों के बीच अपने सेवा कार्यों
के लिये विख्यात जॉन बेपटिस्ट ने अपना अधिकांश समय शिक्षा प्रेरिताई में व्यतीत किया।
शिक्षा प्रेरिताई को समर्पित "ब्रदर्स ऑफ क्रिस्टियन स्कूल्स" नामक धर्मसमाज
की स्थापना भी जॉन बेपटिस्ट ने की जिसे सन् 1725 ई. में परमधर्मपीठ का अनुमोदन मिला।
उन्होंने सन् 1687 में रेम्स, सन् 1699 में पेरिस तथा सन् 1709 ई. में सेन्ट डेनीज़ में
शिक्षकों के अध्ययन के लिये महाविद्यालय खोले। शिक्षकों के अध्यापन पर वे बल दिया करते
थे ताकि वे उच्च स्तर के शिक्षक बनकर समाज के उत्थान में योगदान दे सकें। इसके अतिरिक्त,
उन्होंने लैटिन के साथ साथ स्थानीय भाषाओं में भी अध्यापन कार्य शुरु करवाया। सम्पूर्ण
इटली तथा प्राँस में उन्होंने अनेक स्कूलों की स्थापना की। सन् 1900 ई. में सन्त पापा
लियो 13 वें ने जॉन बेपटिस्ट दे ला साल्ले को सन्त घोषित कर वेदी का सम्मान प्रदान किया
था। सन् 1950 में सन्त पापा पियुस 12 वें ने उन्हें शिक्षकों का संरक्षक सन्त घोषित किया
था। उनका पर्व सात अप्रैल को मनाया जाता है।
चिन्तनः आधुनिक शिक्षा से
ईश्वर को अलग करने की हमारी कोशिश विनाशक हो सकती है। नैतिक मूल्यों के ज्ञान को शिक्षा
का अभिन्न अंग बनाकर ही लोगों में प्रेम, न्याय एवं शांति के भावों को पोषित किया जा
सकता है।