वाटिकन सिटी, शनिवार, 5 अप्रैल 2014 (सीएनए): संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित संत
मार्था प्रेरितिक प्रसाद के प्रार्थनालय में शुक्रवार 4 अप्रैल को अर्पित यूखरिस्तीय
बलिदान में धर्म के नाम पर अत्याचार की पृष्ठभूमि में येसु पर भरोसा रखकर आशावान बने
रहने की सलाह दी। उन्होंने प्रवचन में कहा, "ईश प्रजा के बीच जिन लोगों को पवित्र
आत्मा सच्चाई का साक्ष्य देने हेतु नियुक्त करते हैं उन्हें अत्याचार का सामना करना पड़ता
है।" संत पापा ने प्रवचन में योहन रचित सुसमाचार पाठ पर चिंतन किया जहाँ लोग येसु
को गिरफ्तार कर मार डालना चाहते हैं क्योंकि उन्होंने अपने को स्वर्ग से आया हुआ बतलाया
था। संत पापा ने कहा, "क्रूसित होने के अंतिम दिनों में येसु ने अपने को छिपा रखा
था क्योंकि समय पूरा नहीं हुआ था किन्तु येसु सब कुछ जानते थे जो उनके साथ घटित होने
वाला था।" संत पापा ने कहा कि येसु ने आरम्भ से ही अत्याचार सहा, उस समय से ही जब
से उन्होंने अपनी मातृभूमि लौटकर सभागृह में शिक्षा देना आरम्भ किया था, लोगों द्वारा
उनकी अत्याधिक प्रशंसा के बावजूद उन्होंने उन पर विश्वास नहीं किया तथा आपस में सवाल
किया कि यह किस अधिकार से शिक्षा देता है तथा इस ने कहाँ से शिक्षा प्राप्त की है। संत
पापा ने इतिहास की याद करते हुए कहा कि ग़ैरसमझदारी के कारण नबियों को अत्याचार का सामना
करना पड़ा उसी प्रकार कलीसिया में येसु के समय से लेकर आज तक अत्याचार जारी है। उन्होंने
कहा कि इसका एक मात्र कारण है कि सत्ताधारी उन्हें चुप रखना चाहते थे क्योंकि उन्होंने
उनके कुकृत्यों का विरोध किया था। संत पापा ने कहा कि अत्याचार सहने में येसु हमारे आदर्श
हैं। अंत में संत पापा ने कहा कि अत्याचार का अंत पुनरूत्थान है किन्तु इसके लिए धीरज
पूर्वक क्रूस के रास्ते पर टिके रहने की आवश्यकता है। हम ईश्वर से प्रार्थना करें कि
क्रूस के रास्ते पर अंत तक धीर बने रह सकें।