2014-04-05 11:29:05

प्रेरक मोतीः सन्त विन्सेन्ट फरेर (1357-1419)


वाटिकन सिटी 05 अप्रैल सन् 2014
विन्सेन्ट फरेर का जन्म स्पेन के वालेन्सिया नगर में 23 जनवरी सन् 1357 ई. को हुआ था। सन् 1374 ई. में आपने दोमिनिकन धर्मसमाज में प्रवेश किया तथा शपथ ग्रहण करने के तुरन्त बाद आप गुरुकुल में दर्शनशास्त्र के प्राध्यपक नियुक्त कर दिये गये। कुछ ही वर्षों में विन्सेन्ट एक परिष्कृत उपदेशक, धर्मशिक्षक एवं महान मिशनरी रूप में विख्यात हो गये।


बारसेलोना में विन्सेन्ट ने ईश शास्त्र का अध्ययन किया तथा काटालोनिया के विश्वविद्यालय से डॉक्टरेड की उपाधि प्राप्त की। सन् 1390 ई. विन्सेन्ट को कार्डिनल पेद्रो दे लूना का सहयोगी बनाकर फ्राँस प्रेषित कर दिया गया किन्तु कुछ ही समय बाद वे स्पेन लौट आये। जब कार्डिनल पेद्रो दे लूना आविन्योन में सन्त पापा पद पर नियुक्त किये गये तब उन्होंने पुनः विन्सेन्ट को बुला भेजा तथा उन्हें परमाध्यक्षीय प्रेरितिक प्रासाद की देखरेख का कार्य सौंप दिया।


काथलिक कलीसिया में उस समय हो रहे अलगाववाद को रोकने की विन्सेन्ट ने पूर्ण चेष्टा की तथा कलीसियाई उपाधियों एवं कलीसियाई अधिकारियों के बाह्य प्रदर्शन का विरोध किया। इसी के चलते वे फ्राँस छोड़कर सम्पूर्ण यूरोप में भ्रमण करने लगे तथा स्पेन एवं फ्राँस सहित उन्होंने जर्मनी, फ्लेनडर्स, इंग्लैण्ड आयरलैण्ड तथा स्कॉटलैण्ड तक प्रभु ख्रीस्त के सुसमाचार का प्रचार किया। उनकी सुसमाचर उदघोषणा प्रेरिताई ने बहुतों को प्रभावित किया जिन्होंने काथलिक धर्म का आलिंगन कर लिया। मोहामेदान ग्रनादा में भी दोमिनिकन भिक्षु विन्सेन्ट ने सफलतापूर्वक सुसमाचार का प्रचार किया।


पाँच अप्रैल सन् 1419 ई. को विन्सेन्ट फरेर का निधन हो गया था। उनका पर्व पाँच अप्रैल को मनाया जाता है। विन्सेन्ट फरेर ने अपने मिशनरी कार्यों द्वारा कलीसिया का पुनर्निर्माण किया तथा उसे विश्वास में सुदृढ़ किया था इसीलिये उन्हें गृहनिर्माण-कार्य में लगे श्रमिकों के संरक्षक सन्त घोषित किया गया है।


चिन्तनः सतत् प्रार्थना से हम सत्य के प्रचार का सम्बल प्राप्त करें ताकि समाज के सकारात्मक निर्माण में योगदान दे सकें।








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