वाटिकन सिटी, शुक्रवार 4 अप्रैल, 2014 (सीएनए) संत पापा फ्राँसिस ने बृहस्पतिवार 3 अप्रैल
को वाटिकन सिटी स्थित सान्ता मार्था प्रार्थनालय में यूखरिस्तीय बलिदान अर्पित करते हुए
प्रार्थना विषय पर प्रवचन दिया।
संत पापा ने कहा कि बाइबल में कहा गया है कि
मूसा ने एक मित्र की तरह निर्भय होकर ईश्वर से आमने-सामने बातचीत की। प्रार्थना का अर्थ
यही है - स्वतंत्र तथा आग्रहपूर्ण वार्ता।
संत पापा ने कहा कि मूसा ने इस्राएल
के लोगों के लिये निवेदन किया और कहा कि उनकी मूर्तिपूजा के लिये वे उनका सर्वनाश न करें।
यह मूसा का ईश्वर के साथ एक संघर्ष की घटना है जो एक नेता के रूप में ईशप्रजा को बचाना
चाहता था।
इस कार्य को मूसा ने साहसपूर्वक, पूरी स्वतंत्रता और दृढ़ता के साथ
किया। इस कार्य में किसका मन परिवर्तन हुआ? मूसा का ही ईश्वर का नहीं। यही होता है प्रार्थना
में; प्रार्थना हमारा दिल को छू लेता है। मूसा ने ईश्वर की दया को पहचान लिया।
संत
पापा ने दुहराया कि प्रार्थना हमारे दिल को बदल डालता है और हमें ईश्वर को और अधिक अच्छी
तरह से पहचान लेते हैं।
संत पापा ने कहा कि ईश्वर के सम्मुख प्रार्थना करने के
बाद मूसा पर्वत से नीचे उतरा और कहा कि उसने ईश्वर के रास्ते को पहचान पाया है। इसीलिये
ज़रूरी है पवित्र आत्मा की जो हमें ईश्वर को पहचानने की शक्ति प्रदान करता है और हमारे
दिल को बदल डालता है।