वाटिकन सिटी 30 मार्च सन् 2014 सन्त फ्राँसिस को समर्पित धर्मसमाज के मठवासी, तपस्वी
एवं सुधारक, पीटर रेगालादो का जन्म स्पेन के एक कुलीन परिवार में हुआ था। अपने पैतृक
शहर व्लादोविद में ही उन्होंने 13 वर्ष की आयु में फ्राँसिसकन धर्मसमाज में प्रवेश कर
लिया था।
कई वर्षों बाद वे त्रिबोलुस स्थित एक कठोर साधु जीवन यापन करनेवाले
मठ में चले गये। कठोर तपस्या तथा ईश्वर में ध्यान व मनन चिन्तन उनकी दिनचर्या बन गई जिसके
दौरान कई बार वे भाव समाधि में चले जाते थे। बताया जाता है कि नौ वर्षों तक चालीसा काल
के दौरान वे केवल रोटी और पानी पर जीते रहे थे। अपने मठवासी जीवन के जौरान उन्होंने कई
चमत्कार किये, कई रोगियों को चंगा किया तथा भविष्यवाणियाँ कीं।
त्रिबोलुस
में मठाध्यक्ष का पद ग्रहण करने के बाद उन्होंने मठवासी जीवन में कई सुधार किये तथा सन्त
फ्राँसिस को समर्पित अन्य आश्रमों को भी सुधारों के लिये प्रेरित किया। सामुदायिक जीवन
में अनुशासन और कठोर नियमों के पालन के लिये उनके उत्साह को दृष्टिगत रख ही उनका नाम
पीटर रेगुलातुस या रेगालादो पड़ गया।
1456 ई. में, 66 वर्ष की आयु में, पीटर
रेगालादो का निधन हो गया था। उनकी मृत्यु के 36 वर्ष बाद, काथलिक धर्मपरायण महिला इज़ाबेल्ला
के बल देने पर, जब उनके शव को धरती से खोद कर निकाला गया तब वह किसी भी तरह से भ्रष्ट
अथवा विकृत नहीं पाया गया था। 11 मार्च सन् 1684 ई. को सन्त पापा इनोसेन्ट 11 वें द्वारा
पीटर रेगालादो को धन्य घोषित किया गया था तथा 29 जून सन् 1746 ई. को सन्त पापा बेनेडिक्ट
15 वें द्वारा सन्त घोषित कर वेदी का सम्मान प्रदान किया गया था।
पीटर रेगालादो
का पर्व 30 मार्च को मनाया जाता है।
चिन्तनः अनुशासन, संयम एवं सतत् प्रार्थना
ईश मार्ग की ओर ले जाती है।