नेत्रहीन, मूक एवं बधिर लोगों की मदद करनेवाले इताली संगठनों को सन्त पापा फ्राँसिस का
सन्देश
वाटिकन सिटी, 29 मार्च सन् 2014 (सेदोक): वाटिकन में, शनिवार को, सम्पूर्ण इटली से पहुँचे
नेत्रहीन, मूक एवं बधिर लोगों तथा इनकी मदद करनेवाले इताली संगठनों को सन्त पापा फ्राँसिस
ने "साक्षात्कार" का अर्थ समझाया।
उन्होंने कहा कि आपस में एक दूसरे से मिलना
सदभावना प्रकट करने का तरीका है इसलिये, "आज मैं, साक्षात्कार की संस्कृति के विकास हेतु
सुसमाचार के साक्ष्य" विषय पर चिन्तन करना चाहता हूँ।"
सन्त पापा ने कहा कि सर्वप्रथम
तो सुसमाचार का साक्ष्य देने के लिये आवश्यक है येसु ख्रीस्त के साथ साक्षात्कार। उन्होंने
कहा जो व्यक्ति प्रभु येसु को सचमुच में जानते हैं वे उनके साक्षी बनते हैं जैसा कि समारी
स्त्री, जिसके बारे में हमने विगत रविवार के सुसमाचार पाठ में पढ़ा था।
उन्होंने
कहा कि येसु से मिलने के बाद समारी स्त्री का जीवन बदल गया था, वह अपने गाँव लौटती है
और लोगों से कहती हैः "चलिए, एक मनुष्य को देखिए, जिसने मुझे वह सब जो मैंने किया, बता
दिया है। कहीं वह मसीह तो नहीं हैं?" इसी प्रकार नेत्रहीन व्यक्ति येसु से दृष्टिदान
पाकर प्रभु का गुणगान करता है।
सन्त पापा ने कहा कि सुसमाचार का साक्षी वही
है जिसने प्रभु येसु के साथ साक्षात्कार का अनुभव किया है, जिसे इस बात का एहसास हुआ
है कि उसने येसु को पहचाना तथा उनके प्रेम एवं उनकी क्षमा का पात्र बना है। वह व्यक्ति
जो अपने इस आनन्दमय अनुभव को अन्यों में बाँटें, वही सुसमाचार का सच्चा साक्षी है।
सन्त पापा ने कहा कि समारी स्त्री का दृष्टान्त यह दर्शाने के लिये एक उत्तम
उदाहरण है कि येसु समाज से बहिष्कृत तथा तिरस्कृत लोगों के साथ साक्षात्कार पसन्द करते
हैं। यहूदी लोग समारी जाति के लोगों को समाज बहिष्कृत मानते थे तथा उनका तिरस्कार करते
थे। तथापि, ऐसे ही लोग प्रभु येसु को प्यारे हैं, वे जो बीमार हैं अथवा विकलांग हैं ताकि
वे उन्हें चंगाई प्रदान कर मानव- मर्यादा एवं प्रतिष्ठा से सम्पन्न बना सकें।