श्रीलंका में मानवाधिकार हनन की जाँच का प्रस्ताव पारित
जेनेवा, शुक्रवार 28 मार्च, 2014 (बीबीसी) संयुक्त राष्ट्र संघ मानव अधिकार परिषद ने
गुरुवार को जेनेवा में हुई बैठक में श्रीलंका में हुए गृह युद्ध के दौरान मानव अधिकार
के कथित हनन के मामलों की जाँच का प्रस्ताव पारित कर दिया है। इस प्रस्ताव के तहत
तक़रीबन पच्चीस साल तक चले गृह युद्ध के दौरान श्रीलंका सरकार और तमिल विद्रोहियों की
तरफ से की गए कथित मानव अधिकार हनन के मामलों की मुकम्मल जाँच की मांग की गई है। श्रीलंका
का गृह यु्द्ध साल 2009 में समाप्त हुआ। श्रीलंका के राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने
इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है। उन्होंने कहा, "इससे श्रीलंका सरकार के मेलमिलाप
के प्रयासों को धक्का पहुँचेगा।" समाचार एजेंसी पीटीआई ने बताया है कि भारत ने ख़ुद
को अमरीका के ज़रिये श्रीलंका में जाँच के इस प्रस्ताव से अलग रखा। समाचार एजेंसी
एएफ़पी ने कहा है कि राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने प्रस्ताव के ख़िलाफ़ राजनयिक मुहिम
चला रखी थी। हालांकि एएफ़पी ने पहले कहा था कि भारत में इस मामले में अमरीका के प्रस्ताव
के पक्ष में वोट देगा। श्रीलंका में तमिल विद्रोह तीन दशकों से भी लंबे वक़्त तक जारी
रहा और इसका अंत 2009 में हुआ जब तमिलों ओर श्रीलंका की फौज के बीच काफ़ी दिनों तक ख़ूनी
लड़ाई जारी रही। कई मानवधिकार संस्थाओं ने आरोप लगाया है कि लड़ाई ख़त्म होने के बाद
श्रीलंका में मानवधिकार हनन के मामले ओर अधिक बढ़ गए हैं।