नयी दिल्ली, शुक्रवार 28 मार्च, 2014 (उकान) नैशनल युनाइटेड क्रिश्चियन फोरम ने ईसाइयों
से अपील की है कि वे ऐसे नेताओं का चयन करें जो समुदाय के लिये कार्य करने को उत्सुक
हों और जो दलित ईसाइयों अनुसूचित जाति का दर्ज़ा दिलायें।
मंच के सदस्यों ने
लोगों से अपील की है कि वे राजनीतिक पार्टियों के नेताओं इस बात पर दबाव डालें वे इस
लक्ष्य की प्राप्ति के लिये अपने दायित्व का आश्वासन दें।
विदित हो नैशनल युनाइटेड
क्रिश्चियन फॉरम में सीबीसीआई, एनसीसीआई और ईएफ के सदस्य इसके अंग हैं।
ईसाइयों
के राष्ट्रीय मंच ने एक विज्ञप्ति जारी कर कहा कि जिन राज्यों में धर्मपरिवर्तन विरोधी
कानून लागू किया जा चुका है वहाँ अल्पसंख्यकों को डराया –धमकाया जा रहा है विशेष करके
ईसाई समुदाय को।
उन्होंने कहा कि पूरे राष्ट्र में धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार
होना चाहिये। विज्ञप्ति में कहा गया है कि पूरे देश में ईसाई अल्पसंख्यक ऐसे स्थानों
में स्कूल चलाते हैं और गरीबों तथा उपेक्षितों के लिये कार्य करते हैं। सरकार को चाहिये
कि वह अल्पसंख्यक स्कूलों के लिये उचित सुविधा एवं सहायता प्रदान करेंग। ईसाई फॉरम
ने पार्टियों को याद दिलाया है कि सरकारी नीतियाँ ऐसी बनी कि आदिवासियों का विस्थापन
न हो। इस मंच के सदस्यों ने लोकसभा चुनाव के पूर्व पार्टियों से यह भी कहा कि भ्रष्टाचार
विऱोधी कानून को मजबूत करें और सांप्रदायिक लक्षित हिंसा विधेयक की रोकथाम को संसद में
पारित किया जाये।