वाटिकन सिटी, सोमवार 24 मार्च, 2014 (सीएनए) संत पापा फ्राँसिस ने 22 मार्च शनिवार को
नाबालिगों के सुरक्षा के लिये आठ सदस्यीय परमधर्मपीठीय आयोग की स्थापना की जिसकी घोषणा
पिछले दिसंबर माह में ही कर दी गयी थी।
वाटिकन प्रेस कार्यालय के निदेशक जेस्विट
फादर लोमबारदी ने कहा कि संत पापा चाहते हैं कलीसिया नाबालिगों की सुरक्षा को सर्वोच्च
प्राथमिकता दे।
वाटिकन से जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार नाबालिगों के लिये गठित
परमधर्पीठीय आयोग का दायित्व है कि वह आयोग का अधिनियम बनाये जो उसके कार्य और उसकी कार्यक्षेत्र
का निर्धारण करे।
फादर लोमबारदी ने बतलाया कि शीघ्र ही आयोग में कुछ और सदस्यों
को सम्मिलित किये जायेंगे जो विश्व के विभिन्न प्राँतों से होंगे।
परमधर्मपीठीय
आयोग में जिन लोगों को शामिल किया गया है उसमें बोस्टन के कार्डिनल सान ओ माली, फ्राँस
की कैथरिन बोन्नेट, आयरलैंड की श्रीमती मरि कोलिन्स, इंगलैंड की प्रोफेसर शीला होलिन्स,
इटली के प्रोफेसर क्लाउदियो पपाले, पोलैंड की पूर्व प्रधानमंत्री, हन्ना सुचोकाक, अर्जेन्टीना
के जेस्विट फादर हुम्बेरतो मिगवेल यानेज तथा जर्मनी के जेस्विट फादर हैन्स जोल्नर भी
शामिल हैं।
फादर लोमबारदी ने बतलाया कि कमीशन के आठ लोगों की ज़िम्मेदारी है
कि वे आयोग के कार्यों और इसके कार्यक्षेत्र के बारे में विचार-विमर्श कर इसे अंतिम रूप
देंगे।
वाटिकन प्रवक्ता ने बतलाया कि नाबालिगों के लिये आयोग बनाया जाना पूर्व
संत पापाओं, धन्य जोन पौल द्वितीय और संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें की योजनाओं का ही परिणाम
और विस्तार है।
उन्होंने कहा कि आयोग की कार्ययोजना में बच्चों पर हो रही शोषण
संबंधी शिक्षा, शोषकों के प्रति अनुशासनात्मक कारवाई, सामाजिक और कानूनी कर्त्तव्य और
इस संबंध में समाज में उभरते उचित मान्यताओं एवं प्रथाओं को लागू करना आदि शामिल है।