वाटिकन सिटी, 23 मार्च सन् 2014: तोरिबियो आल्फोन्सो मोग्रोवेहो का जन्म स्पेन के
मायोर्का में सन् 1538 ई. को हुआ था। वकालात की पढ़ाई के बाद कई वर्षों तक, तोरिबियो
आल्फोन्सो, सालामान्का विश्वविद्यालय में वकालात के प्राध्यापक रहे। स्पेन के राजा फिलिप
द्वितीय के शासन काल में, अभिषिक्त पुरोहित न होने के बावजूद, तोरिबियो आल्फोन्सो को
ग्रानाडा की धर्माधिकरण अदालत का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। बाद में राजा फिलिप
ने उन्हें पेरु में लीमा के महाधर्माध्यक्ष पद पर नियुक्त कर दिया था।
पुरोहिताभिषेक
और फिर धर्माध्यक्षीय अभिषेक के बाद सन् 1581 ई. में, तोरिबियो आल्फोन्सो मोग्रोवेहो,
लीमा के महाधर्माध्यक्षीय पद पर आसीन हुए। लीमा महाधर्मप्रान्त का कार्यभार अपने हाथ
में लेने के तुरन्त बाद धर्माध्यक्ष मोग्रोवेहो ने सुधार अभियान आरम्भ कर दिया तथा स्पानी
उपनिवेशियों के अधीन पीड़ित पेरु की जनजातियों तथा निर्धनों के अधिकारों की रक्षा हेतु
कृतसंकल्प हो गये। उन्होंने स्कूलों, अस्पतालों और गिरजाघरों का निर्माण करवाया तथा नये
विश्व में पहले काथलिक गुरुकुल की स्थापना की। अपनी प्रेरिताई को भलीप्रकार निभाने के
लिये उन्होंने पेरु की जनजातियों में बोली जानेवाली भाषा का भी अध्ययन किया तथा अपने
जीवन के अन्त तक समाज के परित्यक्तों एवं निर्धनों की जी जान से सेवा करते रहे।
तोरिबियो
आल्फोन्सो मोग्रोवेहो का निधन सन् 1606 ई. में हो गया था। सन् 1726 ई. में उन्हें सन्त
घोषित किया गया था। तोरिबियो आल्फोन्सो मोग्रोवेहो का पर्व दिवस 23 मार्च को मनाया जाता
है।
चिन्तनः धर्माध्यक्ष एवं मानवाधिकारों के रक्षक सन्त तोरिबियो आल्फोन्सो
मोग्रोवेहो की मध्यस्थता से हम भी निर्धनों एवं हाशिये पर जीवन यापन करनेवालों की सहायता
का सम्बल प्राप्त करें।