वाटिकन सिटी, शनिवार 22 मार्च 2014 (वीआर सेदोक): "ईश वचन को अपने हृदय में नहीं मार
डालने के लिए हमें विनम्रता तथा प्रार्थना में दृढ़ बने रहने की आवश्यकता है।" यह बात
संत पापा फ्राँसिस ने 21 मार्च को वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मार्था के प्रार्थनालय
में पावन ख्रीस्तयाग के दौरान प्रवचन में कही। उन्होंने कहा, "यदि कोई ख्रीस्तीय विनम्र
नहीं है तथा प्रार्थना नहीं करता, वह ईश वचन को ग्रहण करने का दुःसाहस करता एवं उसे अपनी
पसंद अनुसार मोड़ना चाहता है। इस प्रलोभन से बचने के लिए येसु ने दाखबारी में काम करनेवाले
का दृष्टांत सुनाया जिसमें सभी नौकर मार डाले गये थे तथा अंत में पुत्र जो दाखवारी का
उत्तराधिकारी था उसे भी मार दिया गया था। संत पापा ने कहा कि दृष्टांत में येसु फ़रीसियों,
धर्मगुरूओं एवं पुरोहितों की ओर इशारा करते हैं। येसु उन्हें दिखाना चाहते थे कि अपने
हृदय को उदार रखने के कारण वे कहाँ गिरे हुए हैं।" संत पापा ने कहा कि यही उनका
दुर्भाग्य था और यह दुर्भाग्य हमारा भी है। फ़रीसियों ने ईश वचन को अपनाया था तथा उसे
अपनी पसंद के अनुकूल, अपनी विचारधारा एवं धार्मिकता के अनुरूप बना लिया था। वे उसकी व्याख्या
अपनी इच्छा तथा रूचि के अनुसार करते थे और उसे बनाये रखने के लिए उन्होंने हत्या का सहारा
लिया। येसु इसी हत्या के शिकार हुए। जब फ़रीसियों ने दृष्टांत सुना तो उन्हें बात समझ
में आ गयी कि येसु उन्हीं के बारे में बोल रहे थे तब उन्होंने येसु को पकड़ने एवं मार
डालने के लिए आवाज़ उठाई। संत पापा ने कहा कि ईश वचन कैद होकर मर जाता है, पवित्र
आत्मा उन सभी की चाहत के पिंजरे में बंद कर दिया जाता है। जब हम ईश वचन के अनुसार नहीं
चलते और नवीनीकरण के आह्वान को इन्कार करते हैं तो हम भी यही करते हैं। उन्होंने कहा
कि ईश वचन हमारे हृदय में बंद होकर मर सकता है किन्तु इसका अंत कभी नहीं होगा क्योंकि
यह दीन-हीन हृदय में वास करता है।