भुबनेश्वर, सोमवार 17 मार्च 2014 (सीएनए) भारतीय काथलिक कलीसिया ने ओडिशा में एक काथलिक
नन क साथ हुई कथित बलात्कार के मामले में शुक्रवार 14 मार्च को तीन व्यक्तियों को सजा
सुनाये जाने का स्वागत किया है।
मालूम हो कि 24 अगस्त सन् 2008 में ईसाई विरोधी
हिंसा के दौरान एक काथलिक नन के साथ मार-पीट करने, बलात्कार करने और बालीगुडा शहर में
अर्द्धनग्न घुमाने के 9 आरोपियों में से तीन को सजा मिली है। छः आरोपियों को सबूत के
अभाव में रिहा कर दिया गया है।
कटक भुबनेश्वर महाधर्मप्राँत के प्रेस कार्यालय
के अधिकारी फादर संतोष दिगल ने कटक जिला सेशन अदालत के निर्णय को ‘आंशिक न्याय’ कहा पर
उन्होंने इसका स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि इस निर्णय से आम लोगों के बीच यह संदेश
जायेगा कि न्याय जीवित है।
कटक सेशन कोर्ट के न्यायधीश ज्ञानरंजन पुरोहित ने
मुख्य अभियुक्त संतोष पटनायक को बलात्कार के लिये 11 साल और गजेन्दर दिगल और सरोज बहदेई
को नन को उत्पीड़ित करने के लिये 26 महीने की जेल की सजा सुनायी है।
फादर दिगल
ने बतलाया कि सन् 2008 की ईसाई विरोधी हिंसा में कई मामले अब भी लंबित हैं और न्याय प्रक्रिया
के प्रति लोगों की आस्था कमजोर हुई है।
फादर संतोष ने कहा का कंधमाल हिंसा के
कई अभियुक्त सबूत के अभाव अभियुक्तों द्वारा दबाव और धमकी के कारण गवाह के अभाव में मुक्त
हो गये हैं। मालूम हो कि 2008 की हिंसा उस समय़ भड़क उठी थी जब एक हिन्दु धार्मिक
नेता लक्ष्मणानन्दा सरस्वती की हत्या कर दी गयी थी। ग़ौरतलब है कि हत्या की ज़िम्मेदारी
माओवादियों के द्वारा लेने के बाद भी ईसाइयों को अपने गुस्सा के शिकार बनाया गया।
विदित
हो कि ओडिशा में 94 प्रतिशत लोग हिन्दु है ईसाई और मुस्लिमों की कुल जनसंख्या 2 प्रतिशत
और सिक्ख, बौद्ध और जैनों का प्रतिशत 2 फीसदी है। कटक-भुबनेश्वर में काथलिकों की कुल
जनसंख्या 0.5 प्रतिशत है।