2014-03-10 16:06:32

सस्नेह सहायता, प्रेमपूर्ण बँटवारा, न्यायपूर्ण समाज


रोम, सोमवार 10 मार्च, 2014(सेदोक,वीआर) संत पापा फ्राँसिस ने शनिवार 8 मार्च को समर्पित जीवन की संस्थाओं के लिये बने संघ और प्रेरिताई जीवन संबंधी संघों के लिये रोम के संत परमधर्मपीठीय अन्तोनियानुम यूनिवर्सिटी में आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला में भाग ले रहे प्रतिनिधियों को अपना संदेश दिया।

‘कॉग्रेगेशशन ऑफ़ कोन्सेक्रेटेड लाइफ़’ और ‘सोसायटीस ऑफ़ अपोस्तोलिक लाइफ़’ के प्रीफेक्ट कार्डिनल जोवाओ ब्राज़ दे अविज़ को प्रेषित अपने संदेश में उन्हों कहा, " आज की दुनिया में सबकुछ प्रतिस्पर्द्धा, दुरुस्तों का अस्तित्व में बने रहने तथा बाहुबलियों द्वारा कमजोरों को निगल जाने का खेल बन गयी है। ख्रीस्तीयों के लिये यह एक बड़ी चुनौती है क्योंकि ऐसी परिस्थतयों में लोगों का जीवन अनिश्चिततापूर्ण हो जाता है।"

संत पापा ने प्रतिनिधियों को प्रोत्साहन देते हुए कहा, "प्रत्येक धर्मसंघ को चाहिये वह अपनी स्थापना के लक्ष्य और आध्यात्मिक विरासत के आधार पर संस्था को चलाने और उसके प्रशासन का मूल्यांकन करे।"

उन्होंने कहा कि प्रत्येक संघ का विशिष्ठ आध्यात्मिक गुण संघ को शक्ति प्रदान करता, उनकी विश्वनीयता को जीवित रखता और उनके प्रेरितिक कार्यों तथा मिशन को दिशा देता है।
संत पापा ने कहा कि प्रत्येक संघ की संपति के संचालन में सावधानी तथा पारदर्शिता हो, इसकी बरबादी न हो और इसके स्रोतों का उचित उपयोग हो।

अपने संदेश में संत पापा ने ईशसेवक पौल षष्टम् की बातों की याद कराते हुए कहा कि समर्पित जीवन की संस्थायें और प्रेरिताई जीवन संघ की आवाज़ सदा साहसपूर्ण होती हैं और येसु के जीवन का साक्ष्य देतीं हैं जिसने खुद गरीब बनकर लोगों को समृद्ध किया।

येसु की गरीबी का अर्थ है सस्नेह सहायता, प्रेमपूर्ण बँटवारा, न्यायपूर्ण समाज की स्थापना तथा उस भौतिकवादिता के प्रति लोगों के सावधान करना जो जीवन के सच्चे अर्थ को धुँधला करती है।
संत पापा ने कहा कि हमें सिद्धांतवादी गरीबी नहीं, वैसी गरीबी चाहिये जो गरीबों, बीमारों और बच्चों को के पास जाने से मिलती है।










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