वाटिकन सिटी शुक्रवार 7 मार्च, 2014 (सीएनए) संत पापा ने 5 मार्च को इतालवी दैनिक ‘कोरियेरा
देल्ला सेरा’ को दिये अपने साक्षात्कार में परिवार, विवाह और कलीसिया में हुए अनैतिक
आचरण आदि विषयों पर अपने विचार स्पष्ट किये।
दैनिक समाचारपत्र के फेरुचियो दे
बोरतेली के गर्भनिरोध के प्रयोग पर कलीसिया के विचार पर संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि
संत पापा के पौल षष्टम् के दस्तावेज़ ‘ह्यूमानेय वितेय’ के पचास वर्ष बाद भी कलीसिया
के सिद्धांत वैसे ही रहेंगे पर प्रेरितिक कार्यों में दयालुता की ज़रूरत है।
उन्होंने
कहा कि संत पापा पौल षष्टम् स्वयं ही विशेष परिस्थितियों में दयालुता के बड़े हिमायती
थे। वे अत्यंत साहसी थे क्योंकि अधिकांश लोगों के विरोध के बावजूद उन्होंने वर्त्तमान
और भविष्य माल्थसवाद के विरुद्ध नैतिक अनुशासन की रक्षा की।
विवाह संबंधी ‘सिविल
यूनियन’ पर पूछे एक प्रश्न का जवाब देते हुए संत पापा ने कहा कि विवाह एक नर और एक नारी
का संबंध है।
परिवार विषय पर किये गये सवाल के उत्तर में संत पापा ने कहा कि कलीसिया
का दायित्व है कि वह तलाकशुदा लोगों का तिरस्कार करने के बदले उनकी सहायता करे। यह एक
लम्बी प्रक्रिया है जिसे पूरा करना कलीसिया की ज़िम्मेदारी है।
उन्होंने कहा
कि वर्त्तमान पारिवारिक परिस्थिति चुनौतिपूर्ण है, बहुत कम युवा विवाह करते और कई टूट
जाते जिससे सामुदायिक जीवन पर प्रतिकूल असर होता है और इससे निर्दोष बच्चों को गहरा दुःख
झेलना पड़ता है। ऐसे समय में कलीसिया तटस्थ नहीं रह सकती है।
कलीसिया में हो
रहे दुराचरण पर संत पापा ने कहा कि इस संबंध में उन्हें दो बातें कहनी है। पहली दुराचार
भयानक हैं क्योंकि इसके घाव गंभीर होते हैं। और दूसरी कि संत पापा बेनेदिक्त इस संबंध
में अपार साहस का परिचय देते हुए एक रास्ता निकाला है और काथलिक कलीसिया ने इस संबंध
में पारदर्शिता और जो दायित्वपूर्ण कदम उठाया है वैसा अन्य किसी भी संस्थाओं ने नहीं
किया है।
मालूम हो कि संत पापा की ज़िम्मेदारी संभालने के बाद दैनिक समाचारपत्रों
को दिया गया यह संत पापा का तीसरा साक्षात्कार था। इसके पहले ‘ला स्ताम्पा’, और ‘ला रिपुब्लिका’
दैनिक को उन्होंने साक्षात्कार दिये थे।