दलित ख्रीस्तीय और मुस्लिमों के मुद्दे पर विचार-विमर्श
नयी दिल्ली, शनिवार 1 मार्च, 2014 (उकान) धार्मिक स्वतंत्रता के मुद्दे को लेकर भारत
के ख्रीस्तीय नेताओं ने संयुक्त राष्ट संघ के विशेष प्रतिनिधि प्रोफेसर डॉ हेइनर विलेफेड
से मुलाक़ात की और भारतीय ख्रीस्तीय और मुस्लिम दलितों के साथ हो रहे भेदभाव की जानकारी
दी। दिल्ली में नैशनल कौंसिल ऑफ़ चर्चेस इन इंडिया (एनसीसीआई) द्वारा आयोजित सभा
में काथलिक कलीसिया के नेताओं के अलावा, मानवाधिकार संगठन, वकील, शिक्षाविद, सीबीसीआई
के प्रतिनिधि तथा मुस्लिम समुदाय के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। सभा को संबोधित
करते हुए दलित मानवाधिकार राष्ट्रीय मंच के डॉ. रमेश नाथन ने कहा कि अब तक भारत में अछूत
की समस्या विभिन्न रूपों में होने के पीछे जाति प्रथा ही कारण रहा है। जाति प्रथा
के कारण ही कई लोगों को भेदभाव और हिंसा का शिकार होना पड़ा है अल्पसंख्यकों को बचाने
में संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त प्रीवन्शन ऑफ़ अटरोसिटीस ऐक्ट भी कारगर सिद्ध नहीं
हो पाया है। उन्होंने बतलाया कि भारतीय संविधान में दलित अल्पसंख्यकों के लिये विशेषाधिकार
हैं ताकि उनका कल्याण हो सके पर दलित ईसाइयों और मुस्लिमों को इसका कोई लाभ नहीं मिल
सका है। मुस्लिम समुदाय के प्रतिनिधि हाजी हाफीज़ अहमद हवारी ने कहा कि उन्हें
लोकसभा का टिकट नहीं दिया गया क्योंकि वे दलित समुदाय के सदस्य है। उन्होंने बतलाया कि
दो समुदाय के सदस्य हैं। ‘वाई डब्लयू सी ए’ की लीला पास्साह ने कहा पुलिस भी दलितों
के साथ दुर्व्यहार करती और भेदभाव करती है। प्रोफेसर बिलेफेड ने प्रतिनिधियों को आश्वासन
दिया कि मानवाधिकार विभाग अल्पसंख्यकों के मुद्दों को संयुक्त राष्ट्र संघ में उठाता
रहेगा ताकि उनको न्याय मिले।
विदित हो 27 फरवरी बुधवार से भारत के विभिन्न
संस्थाओं तथा समुदायों से मुलाक़ात के सिलसिले में प्रोफेसर हेइनर ने ‘इंडियन सोशल इन्स्टीट्यूट’
और जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी का भी दौरा किया।