सन्त हिलेरी को कलीसियाई एकता के रखवाले कहा जाता
है। वे 461 ई. से 468 ई. तक कलीसिया के परमाध्यक्ष थे। हिलेरी का जन्म इटली के सारदिनिया
में हुआ था। वे रोम धर्मप्रान्त महायाजक थे जिन्हें 449 ई. में, सन्त पापा लियो प्रथम
ने, एफेसुस की दूसरी धर्मसभा में, अपने विशेष दूत रूप में प्रेषित किया था। इस धर्मसभा
में हिलेरी ने रोम की पवित्र पीठ एवं रोमी परमाध्यक्ष के अधिकारों के लिये खुलकर संघर्ष
किया था तथा कॉन्सटेनटीनोपल के फ्लावियन द्वारा सन्त पापा एवं रोम की कलीसिया पर लगाये
आरोपों का खण्डन किया था। इस अवसर पर हिलेरी को मार डालने का प्रयास किया गया था ताकि
वे वापस रोम न पहुँच पायें किन्तु हिलेरी वहाँ से भागने में सफल हो गये तथा रोम आकर उन्होंने
धर्मसभा के परिणामों पर सन्त पापा लियो प्रथम को पूरी पूरी जानकारी प्रदान की।
सन्त
पापा लियो प्रथम के निधन के बाद, 17 नवम्बर सन् 461 ई. को हिलेरी रोमी काथलिक कलीसिया
के परमाध्यक्ष नियुक्त किये गये। रोम एवं इटली में कलीसिया को सुदृढ़ करने के अलावा उन्होंने
फ्राँस तथा स्पेन में भी कर्ममिष्ठता एवं अध्यवसायता के साथ काम किया तथा 462 एवं 465
में विशेष धर्मसभाओं का आयोजन किया।
सन्त पापा हिलेरी ने अपने परमाध्यक्षीय
काल के दौरान रोम में कई गिरजाघरों का निर्माण करवाया तथा सन्त जॉन लातेरान महागिरजाघर
में एक आराधनालय की भी स्थापना की। मेसोडोनिया में उस समय ज़ोर पकड़ते अपधर्म को समर्थन
देने के लिये उन्होंने सम्राट आन्थेमियुस को, रोम के सन्त पेत्रुस महागिरजाघर में, सार्वजनिक
रूप से, फटकार बताई थी। पूर्वी कलीसियाओं के धर्माध्यक्षों को प्रेषित एक आज्ञप्ति में
उन्होंने नीस, एफेसुस एवं कालसेडेन की धर्मसभाओं में लिये गये निर्णयों को अनुसमर्थन
प्रदान किया था। सन्त पापा हिलेरी ने सान्दी, अफ्रीका तथा गौल में भी कलीसिया को प्रतिष्ठापित
किया। वे कलीसिया की एकता के रखवाले एवं प्रवर्तक माना जाता है। 28 फरवरी सन् 468 ई.
को, रोम में, सन्त पापा हिलेरी का निधन हो गया था। सन्त हिलेरी का पर्व 28 फरवरी को मनाया
जाता है।
चिन्तनः "पुत्र! यदि तुम्हारे हृदय में प्रज्ञा का वास है,
तो मेरा हृदय भी आनन्दित होता है। यदि तुम विवेकपूर्ण बातें करते हो, तो मेरा अन्तरतम
उल्लसित हो उठता है। अपने हृदय में पापियों से ईर्ष्या मत करो, बल्कि दिन भर प्रभु पर
श्रद्धा रखो, इस प्रकार तुम्हारा भविष्य सुरक्षित है और तुम्हारी आशा व्यर्थ नहीं जायेगी"
(सूक्ति ग्रन्थ 23: 15-18)।