2014-02-25 09:56:35

5 फरवरी 2014


पत्र-14.1.14
प्रेम और क्रोध मानव जीवन की दो ऐसी चरम भावनाएं है, जिनका हमारे मन-मस्तिष्क पर पूरा वश चलता है। मनुष्य प्रेम मेँ भी अंधा हो जाता है और क्रोध मेँ भी। वर्तमान चिंता और भय मेँ डूबी हुई दुनिया मेँ जीते हुए हम एक-दूसरे को शुद्ध और दिव्य प्रेम की अमूल्य सौगात तो अवश्य दे ही सकते है, जो हमेँ ईश्वर से जन्मते ही प्राप्त है। आज इस स्वार्थी और अराजक दुनिया मेँ निःस्वार्थ प्रेम व स्नेह के दो बोल चमत्कारी सिद्ध हो सकते हैँ। दयालुता कितना भी छोटा क्योँ न हो, कभी भी बेकार नहीँ जाता। वह हमेँ आंतरिक खुशी, शांति और संतुष्टि की नई ऊंचाइयोँ पर ले जाता है। दूसरी ओर क्रोध आत्मघातक भावना है। जीवन मेँ हमने जो कुछ भी अर्जित किया है, क्रोध वह सब कुछ नष्ट कर देता है। क्रोधी व्यक्ति की मनस्थिति कभी भी स्थिर नहीँ होती, इसलिए उससे समझदारी की उम्मीद भी नहीँ की जा सकती। ऐसे लोगोँ को पल-पल अशांति ही महसूस होती है। इस जद्दोजहद के बीच यह भूल जाते है कि हम इस पृथ्वी पर दूसरोँ को बदलने के लिए नहीँ आए हैँ, बल्कि हमारा लक्ष्य होना चाहिए खुद को बदलने का।
गोराडीह भागलपुर से प्रियदर्शनी रेडियो लिस्नर्स क्लब के अध्यक्ष डॉ. हेमान्त कुमार।
पत्र- 1.2.14
आदरणीय पिताजी, आप सभी को प्रभु येसु के नाम में नमन, आपके समाचारों में विश्व व्यापी कैथोलिक कलीसिया के प्रसिद्ध समाज सेवी श्री जोन बॉस्को के बारे में अच्छी जानकारी मिली । वे प्रभु येसु के सच्चे सेवक थे।
पियर्स मोरिसस से विद्यानन्द रामदयाल।
पत्र- 27.1.2014
प्रिय फादर जस्टिन,
आप यह जानकर आश्चर्यचकित होंगे कि मैं सिस्टर सुष्मा लम्बे समय से वाटिकन रेटियो हिन्दी समाचार अपने ई मेल पर प्राप्त कर रही हूँ किन्तु मैंने आपको कभी धन्यवाद नहीं दिया। मैं आप सभी का अभिवादन करती एवं आपके सभी सुकार्यों के लिए धन्यवाद अर्पित करती हूँ। इस बड़े उत्तरदायित्व को बखुबी निभाने के लिए मैं आपको बधाई देती हूँ तथा अपनी प्रार्थनाओं का आश्वासन देते हुए, हमें आध्यात्मिक भोजन परोसने के लिए धन्यवाद देती हूँ। मध्यप्रदेश, उर्सुलाइन प्रोविशियल आवास से सिस्टर सुष्मा।

पत्र – 30.1.2014
प्रिय फादर जस्टिन, नमस्कार,
खेद के साथ सूचित करना है कि कम्पबेल बे में मध्य दिसम्बर से इंटरनेट सही तरीके से काम नहीं कर रहा है जिसके कारण मैं वाटिकन रेडियो कार्यक्रमों को डाउनलॉड करने में असमर्थ हूँ।
प्रार्थनाओं सहित, फादर सिप्रियन।
अण्डमान के कम्पबेल बे से फादर सिप्रियन।








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