सन्त जॉन थेरिस्तुस बेनेडिक्टीन मठवासी एवं धर्मसमाजी
थे। वे जॉन थेरिस्तुस अथवा "हारवेस्टर" यानि लुनेरा नाम से जाने जाते थे। उनका परिवार
इटली के कलाब्रिया प्रान्त का था हालांकि जॉन का जन्म सिसली द्वीप में, सन् 1049 ई. में,
हुआ था। जॉन थेरिस्तुस की माँ साराचेनियों के यहाँ दासी थी।
मध्यकालीन यूरोप
में अरब से आये मुसलमानों को साराचेनी ही कहा जाता था। वे प्रायः व्यापारी थे जो धनवान
होने के कारण अपने घरों में कई दास दासियों को रखा करते थे। जॉन थेरिस्तुस की माता को
भी उनके युवाकाल में साराचेनी कलाब्रिया से सिसली ले आये थे और वहीं जॉन का जन्म हुआ
था। जॉन का बाल्यकाल अपनी दासी माँ के संग बीता किन्तु यौवन काल में पैर रखते ही वे सबकुछ
छोड़कर घर से भाग गये। सिसली से वे पुनः कलाब्रिया पहुँचे तथा बेनेडिक्टीन धर्मसमाज में
भर्ती हो गये। आजीवन उन्होंने मठवासी जीवन यापन किया। प्राकृतिक प्रकोपों से कलाब्रिया
के लोगों की रक्षा करने के लिये, प्रकोप से पहले ही, जॉन फ़सलों को काटने का काम करवा
लिया करते थे ताकि लोगों को भूखा नहीं रहना पड़े इसीलिये उनका नाम जॉन थेरिस्तुस अथवा
हारवेस्टर या लुनेरा पड़ गया था।
सन् 1129 ई. में, अस्सी वर्ष की उम्र में
सन्त बेनेडिक्ट द्वारा स्थापित धर्मसमाज के सदस्य, मठवासी जॉन थेरिस्तुस का निधन हो गया।
रोमी पंचांग के अनुसार 12 वीं शताब्दी के सन्त जॉन थेरिस्तुस का स्मृति दिवस 24 फरवरी
को मनाया जाता है।
चिन्तनः "ईश्वर पर निर्भर रहो और वह तुम्हारी सहायता
करेगा। प्रभु के भरोसे सन्मार्ग पर आगे बढ़ते जाओ। प्रभु के श्रद्धालु भक्तो! उसकी दया
पर भरोसा रखो। मार्ग से मत भटको; कहीं पतित न हो जाओ। प्रभु के श्रद्धालु भक्तों! उस
पर भरोसा रखो और तुम्हें निश्चय ही पुरस्कार मिलेगा। प्रभु के श्रद्धालु भक्तो! उसके
उपकारों की, चिरस्थायी आनन्द और दया की प्रतीक्षा करो। प्रभु के श्रद्धालु भक्तों! उस
से प्रेम रखो और तुम्हारे हृदयों में प्रकाश का उदय होगा" (प्रवक्ता ग्रन्थ 2: 06-10)।