2014-02-20 10:40:55

प्रेरक मोतीः सन्त वुलफ्रिक (1080-1154)


वाटिकन सिटी, 20 फरवरी सन् 2014

वुलफ्रिक एकान्तवासी एवं चमत्कार कर्त्ता थे जो अपने समय के राजा स्टीवन के मित्र थे। वुलफ्रिक का जन्म इंगलैण्ड के ब्रिस्टल के निकटवर्ती कॉम्टन मार्टिन में हुआ था। वुलफ्रिक ने पौरोहित्य का तो चयन किया था किन्तु धार्मिक जीवन में उनकी अधिक रुचि नहीं थी। भौतिकतावादी एवं सांसारिक जीवन के प्रति उनका अधिक लगाव था। एक दिन एक भिखारी से मुलाकात के उपरान्त उनके भीतर व्यक्तिगत मनपरिवर्तन हुआ तथा हेज़लबरी, सोमरसेट इंगलैण्ड में उन्होंने एकान्तवास का वरण कर लिया। अपने जीवन के शेष काल को उन्होंने त्याग तपस्या, आत्मसंयम एवं प्रार्थना में व्यतीत किया। थोड़े ही समय बाद वे प्रार्थना द्वारा चंगाई प्रदान करने तथा भविष्यवाणियों के लिये विख्यात हो गये। यद्यपि, औपचारिक रूप से वुलफ्रिक को सन्त नहीं घोषित किया गया है तथापि, वे मध्ययुग के अत्यन्त लोकप्रिय सन्त बन गये थे। आज भी सैकड़ों श्रद्धालु एवं तीर्थयात्री फोर्ड एबे स्थित उनकी समाधि पर श्रद्धार्पण के लिये जाते हैं। 20 फरवरी सन् 1154 ई. को लोकप्रिय सन्त वुलफ्रिक का निधन हो गया था। सन्त वुलफ्रिक का पर्व 20 फरवरी को मनया जाता है।


चिन्तनः "पृथ्वी के शासको! न्याय से प्रेम रखो। प्रभु के विषय में ऊँचे विचार रखो और निष्कपट हृदय से उसे खोजते रहो; क्योंकि जो उसकी परीक्षा नहीं लेते, वे उसे प्राप्त करते हैं। प्रभु अपने को उन लोगों पर प्रकट करता है, जो उस पर अविश्वास नहीं करते" (प्रज्ञा ग्रन्थ 1, 1-2)।








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