वाटिकन सिटी, बुधवार 19 फरवरी, 2014 (सेदोक, वी.आर.) बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर
पर संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघऱ के प्राँगण में, विश्व
के कोने-कोने से एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को सम्बोधित किया।
उन्होंने इतालवी
भाषा में कहा, ख्रीस्त में मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, हम आज कलीसिया के सात संस्कारों
पर धर्मशिक्षा माला को जारी रखते हुए पापस्वीकार संस्कार पर चिन्तन करें।
उन्होंने
कहा कि कलीसिया के प्रथन तीन संस्कारों के द्वारा हम येसु ख्रीस्त में नया जीवन प्राप्त
करते हैं। हम इसके द्वारा ख्रीस्तीय जीवन के दीप को पकड़ कर आगे बढ़ते हैं फिर भी जीवन
में प्रलोभन, दुःख-तकलीफ और मृत्य का सामना करते हैं।
दुनिया में व्याप्त पापों
में गिरकर हम इस नया जीवन को खो भी सकते हैं। येसु ने चाहा कि कलीसिया अपने सदस्यों के
लिये मुक्ति के कार्यों को जारी रखे और इसीलिये उन्होंने मेल-मिलाप संस्कार प्रदान किया
जो पास्का रहस्य से प्रवाहित होता है।
हम जो पापक्षमा पाते हैं वह हमारे प्रयासों
का परिणाम नहीं है पर यह पवित्र आत्मा की ओर से दिया जानेवाला वरदान है जो हमें ईश्वर
तथा मानव से मेल-मिलाप कराता है।
वैसे तो पापस्वीकार संस्कार की प्रकृति व्यक्तिगत
है पर इसकी नींव कलीसियाई समुदाय में है जहाँ पवित्र आत्मा उपस्थित हैं और सबों को येसु
मसीह में एक कर लेते हैं।
जब हम पापस्वीकार संस्कार ग्रहण करते हैं तो हम अपने
पापों को एक पुरोहित के समक्ष स्वीकार करते हैं जो न केवल ईश्वर की ओर से चुना हुआ व्यक्ति
है पर समुदाय का भी प्रतिनिधित्व करता है। पुरोहित ईश्वर की ओर लौटने के मार्ग में हमारी
सहायता करता है।
यह संस्कार हमारे जीवन के लिये अति महत्वपूर्ण है फिर हम अपनी
सुस्ती, लज्जा या पाप और इसके प्रभाव की खोती हुई भावना के कारण अपने को इससे दूर रखने
के बहाने खोज सकते हैं।
कई बार ऐसा होता है कि हम अपने को इस संस्कार से दूर
रख देते हैं और अपने आपको ही जीवन तथा सबकुछ का केन्द्र बना लेते हैं।
मेल-मिलाप
संस्कार के द्वारा युस आज हमें अपने करीब बुलाता है और अपने असीम प्रेम और दया का आलिंगन
करता है।
आज हम प्रार्थना करें ताकि हम उसकी संतान रूप में उनके प्रति अपने प्रेम
का नवीनीकरण करें, ईश्वर, पड़ोसी और स्वयं अपने आप से मेल-मिलाप कर लें।
इतना
कह कर, संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा समाप्त की।
उन्होंने इंगलैंड, वेल्स, वियेतनाम,
डेनमार्क, नीदरलैंड, नाइजीरिया, आयरलैंड, फिलीपीन्स, नोर्व, स्कॉटलैंड. जापान, कनाडा,
ऑस्ट्रेलिया, हॉंन्गकॉंन्ग, अमेरिका और देश-विदेश के तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों तथा
उनके परिवार के सदस्यों को विश्वास में बढ़ने तथा प्रभु के प्रेम और दया का साक्ष्य देने
की कामना करते हुए अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।