2014-02-18 12:19:04

वाटिकन सिटीः ईश प्रजा का धैर्य कलीसिया को आगे बढ़ाता है, सन्त पापा फ्राँसिस


वाटिकन सिटी, 18 फरवरी सन् 2014 (सेदोक): वाटिकन के सन्त मर्था प्रेरितिक आवास के प्रार्थनालय में सोमवार को ख्रीस्तयाग के अवसर पर प्रवचन करते हुए सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा कि ईश प्रजा का अनुकरणीय धैर्य ही कलीसिया को आगे बढ़ने की शक्ति प्रदान करता है।
सन्त पापा ने कहा कि उन्हीं लोगों के धैर्य से कलीसिया विकास करती है जो कठिनाइयों के आगे भी सरलता से हार नहीं मानते बल्कि एक वयस्क व्यक्ति के सदृश् धैर्य रखकर प्रभु में अपने विश्वास को सुदृढ़ करते हैं।
सन्त पापा फ्राँसिस सन्त याकूब के पत्र से लिये पाठ पर चिन्तन कर रहे थे जिसमें सन्त कहते हैं कि अनेक प्रकार की कठिनाईयों को आनन्द का ही स्रोत माना जाये।
सन्त पापा ने कहा कि सन्त याकूब का निमंत्रण, "बोझ उठाने का निमंत्रण प्रतीत हो सकता है किन्तु ऐसा नहीं है।" उन्होंने कहा, "जिन परिस्थितियों से हम भागना चाहते हैं उनका धैर्यपूर्वक सामना करने से हम परिपक्व बनते हैं।"
सन्त पापा ने कहा, "जिन लोगों के पास धैर्य नहीं है वे सबकुछ एकसाथ और शीघ्र ही चाहते हैं।" उन्होंने कहा, "जिन लोगों के पास यह प्रज्ञा, धैर्य नहीं है वे बच्चों की तरह ही मनमौजी हैं तथा उन्हें किसी बात से सन्तोष नहीं होता। वे परिपक्व नहीं हैं तथा उनका व्यवहार बच्चों जैसा है।"
सन्त पापा ने कहा, "जो लोग धैर्यवान नहीं हैं वे प्रायः अपने आप को सर्वशक्तिमान मानने के प्रलोभन में पड़ जाते हैं, ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार फरीसी थे जो येसु से तुरन्त स्वर्ग का संकेत देने की या फिर चमत्कार करने की मांग कर रहे थे।"
उन्होंने कहा कि जिन लोगों के पास धैर्य नहीं है वे इस भ्रम में पड़े हैं कि ईश्वर भी किसी जादूगर की तरह ही क्रियाशील रहते हैं जबकि प्रभु धैर्यवान हैं वे धैर्यपूर्वक हमारे बोझ को अपने कन्धों पर उठाते तथा हमें मुक्ति की राह पर ले चलते हैं।








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