पालय, शुक्रवार 14 फरवरी, 2014 (सीबीसीआई) भारतीय धर्माध्यक्षीय परिषद ने पालय में आयोजित
पूर्ण सभा में प्रेरिताई संबंधी चुनौतियों और वाटिकन द्वितीय महासभा के निर्देशों को
कार्यरूप देने संबंधी बातों पर विचार किया।
धर्माध्यक्षों ने वाटिकन द्वितीय
महासभा के चार दस्तावेज़ों ‘लूमेन जेन्सयुम’, ‘अद जेन्तेस’, ‘गौदियुम एते स्पेस’ और
‘अपोस्तोलिकम अक्तुवोसितातेम’ पर विचार विमर्श किये गये। इन दस्तावेज़ों में कलीसिया,
उसके मिशन, आधुनिक दुनिया में कलीसिया और लोकधर्मियों की प्रेरिताई पर चिन्तन किया गया
है।
धर्माध्यक्षों ने इस बात पर बल दिया कि येसु के पदचिह्नों पर चलते हुए,
कलीसिया गऱीबों, शोषितों, और उपेक्षितों की ओर से आँखें बन्द नहीं कर सकती है।
विदित
हो कि भारतीय धर्माध्यक्षीय परिषद (सीबीसीआई) की आम सभा प्रत्येक वर्ष आयोजित की जाती
है जिसमें कलीसिया की तीनों विधियों - लैटिन, सिरो मलाबार तथा सिरो मलंकरा के धर्माध्यक्ष
हिस्सा लेते हैं।
केरल राज्य के पालय में आयोजित सभा में इस वर्ष धर्माध्यक्षों
की संख्या 185 थी जो भारत के 167 धर्मप्रांतों से एकत्र हुए थे।
भारत के वाटिकन
सिटी के नुनसियो महाधर्माध्यक्ष साल्वोतोरे पेन्नाकियो ने धर्माध्यक्षों को संबोधित करते
हुए कहा कि कलीसिया का नवीनीकरण ही येसु और सुसमाचार के प्रति वफ़ादारी का चिह्न होगा
और इस नवीनीकरण की दिशा सुसमाचार प्रचार हो।
सीबीसीआई के पूर्व अध्यक्ष मुम्बई
के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल ओस्वाल्ड ग्रेशियस ने धन्य जोन तेइसवें की बातों की याद दिलाते
हुए कहा कि धर्माध्यक्ष पवित्र बनें ताकि पुरोहित और लोकधर्मी उनसे प्रेरणा प्राप्त कर
पायेंगे।
आगरा के महाधर्माध्यक्ष अलबर्ट डीसूजा ने देश में वार्ता को सुसमाचार
प्रचार का अभिन्न अंग बतलाया।