वाटिकन सिटीः 11 फरवरी लूर्द की रानी का महापर्व, विश्व रोगी दिवस तथा लातेरान सन्धि
की वर्षगाँठ
वाटिकन सिटी, 11 फरवरी सन् 2013 (सेदोक): 11 फरवरी को काथलिक कलीसिया लूर्द की रानी माँ
मरियम का पर्व मनाती है। फ्राँस के लूर्द नगर में, 11 फरवरी सन् 1858 ई. को, मरियम ने
14 वर्षीय बेरनादेत्त सोबीरस को दर्शन दिये थे। बेरनादेत्त को मिले मरियम दर्शनों
के बाद लूर्द स्थित मासाबीले की गुफा में मरियम भक्ति प्रचलित हो गई तथा मरियम की मध्यस्थता
से कई लोगों ने चंगाई प्राप्त की। सन् 1862 ई. में सन्त पापा पियुस 11 वें ने, आधिकारिक
रूप से, लूर्द में धन्य कुँवारी मरियम की भक्ति को अनुमति दे दी। लूर्द के झरने से निकलनेवाले
जल से स्नान के बाद अथवा इसके पी लेने के बाद हज़ारों लोगों को मिली चंगाई के कारण लूर्द
की रानी मरियम को रोगों से मुक्ति दिलानेवाली शीर्षक भी प्रदान किया गया। इसीलिये 11
फरवरी को ही काथलिक कलीसिया विश्व रोगी दिवस भी मनाती है तथा सभी ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों
को रोगियों के लिये प्रार्थना हेतु आमंत्रित करती है। वाटिकन स्थित स्वास्थ्य सेवा
में संलग्न कार्यकर्त्ताओं की प्रेरिताई हेतु गठित परमधर्मपीठीय समिति के उपाध्यक्ष मान्यवर
अगुस्तो चेन्दी ने विश्व रोगी दिवस की पूर्व सन्ध्या अपने चिन्तन में कहा कि रोगी व्यक्ति
भी ईश प्रेम के प्रसार का माध्यम बन सकता है। उन्होंने कहाः "रोगी भी प्रभु ईश्वर
के प्रेम का प्रसार कर सकते हैं। क्रूसित ख्रीस्त में विश्वास से आलोकित उनकी पीड़ा ऐसी
शक्ति में परिणत हो जाती है कि वे अन्त तक प्रेम करते तथा प्रेम में अपनों को ही नहीं
अपितु अपने शत्रुओं को भी भागीदार बनाते हैं ताकि घृणा, ग़ैरसमझदारी तथा उपेक्षाभाव प्रेम
पर विजयी न हो सकें।" सन्त पापा फ्राँसिस के शब्दों को उद्धृत कर उन्होंने कहा,
"अपने पड़ोसी से प्रेम करना अपने आप में एक वरदान है, विशेष रूप से, उन लोगों से प्रेम
करना जो इसके योग्य नहीं, जो पीड़ित हैं, हताश और निराश हैं।" 11 फरवरी को ही इटली
तथा वाटिकन के बीच सन् 1929 ई. में सम्पन्न लातेरान सन्धि की भी वर्षगाँठ है। इस सन्धि
के तहत वाटिकन शहर एवं राज्य में परमधर्मपीठ की संप्रभुता को स्वीकार किया गया तथा काथलिक
कलीसिया एवं इटली के बीच सम्बन्धों को परिभाषित किया गया था।