संयुक्त राष्ट्र संघ की रिपोर्ट पर अमेरिकी लोकधर्मियों का पलटवार
वॉशिंगटन, डी.सी. शुक्रवार 7 फरवरी, 2014 (सीएनए) अमेरिका के काथलिक नेताओं ने संयुक्त
राष्ट्र संघ की उस टिप्पणी की आलोचना की है जिसमें उसने काथलिक कलीसिया द्वारा बाल सुरक्षा
प्रयासों के विस्तार की पहचान नहीं करता और उस पर आम नैतिक धारणा को कलीसया पर थोपना
चाहता है। अमेरिका में लोकधर्मियों के संगठन ‘काथलिक वॉइसेस’ के संस्थापक ओस्टेर
इवेरीह ने कलीसिया के पक्ष में बयान देते हुए संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट को ‘अनभिज्ञता
और भ्रांतिपूर्ण’ कहा है। मालूम हो कि बुधवार 5 फरवरी को को जिनिवा में बाल अधिकार
सम्बन्धी संयुक्त राष्ट्र संघीय समिति ने अपने 65 वें सत्र की समाप्ति पर परमधर्मपीठ
रोम सहित कॉन्गो, जर्मनी, पुर्तगाल, रूस तथा यमन पर अपने अवलोकनों की एक रिपोर्ट प्रकाशित
की थी।
रिपोर्ट में परमधर्मपीठ (होली सी) एवं काथलिक कलीसिया पर समिति ने बच्चों
को पर्याप्त सुरक्षा न देने के गम्भीर आरोप लगाये हैं।
रिपोर्ट में, ख़ास तौर
से, कहा गया कि परमधर्मपीठ ने बच्चों के विरुद्ध यौन दुराचार के अपराधी पुरोहितों पर
उचित कार्रवाई नहीं की बल्कि उन्हें छिपाने की कोशिश की।
संयुक्त राष्ट्र संघ
की रिपोर्ट ने गर्भपात, समलिंगी विवाह और गर्भनिरोधक संबंधी काथलिक कलीसिया पक्ष की भी
आलोचना की थी। ओस्टेर ने कहा कि रिपोर्ट से पता चलता है कि संयुक्त राष्ट्र की समिति
कलीसियाई बाल-सुरक्षा निर्देशनों से अवगत नहीं है और कलीसिया को मात्र कोई स्वयंसेवी
संस्था समझने की भूल करती है।
समिति का यह कहना कि कलीसिया को विवाह संबंधी अपने
विचारों को बदलना चाहिये कलीसिया पर यौन की आम धारणा को थोपने का प्रयास है।
संयुक्त
राष्ट संघ में वाटिकन के स्थायी पर्यवेक्षक महाधर्माध्यक्ष सिल्वानो थोमसी ने समिति के
आरोपों का खंडन करते हुए कहा था कि विश्व में वाटिकन सिटी के समान उदाहरण पाना मुश्किल
है जिसने बच्चों की सुरक्षा के लिये इतने ठोस कदम उठाये हैं जो शिशु के जन्म के पूर्व
से ही उनकी सुरक्षा के निर्देश देती है।
अमेरिकी धर्माध्यक्षीय समिति के मीडिया
विभाग की निदेशिका सिस्टर मेरी अन्न वॉल्स ने संयुक्त राष्ट्र संघ की समिति की टिप्पणी
पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, " यौन दुराचार पर चिन्ता व्यक्त करना सही है पर
संयुक्त राष्ट्र संघ की विश्वसनीयता तब पक्की होगी जब यह बच्चों की रक्षा के लिये जीवन
की रक्षा के अधिकार पर बल दे जो कि व्यक्ति का मौलिक अधिकार है।"
उन्होंने कहा
कि कलीसिया के गर्भनिरोधक, गर्भपात और समलिंगी विवाह संबंधी विचारों को बदलने की राय
देना धार्मिक स्वतंत्रता का हनन है।