2014-02-07 14:39:00

नस्लवाद विरोधी कानून की माँग


नयी दिल्ली, शुक्रवार 7 फरवरी, 2014 (उकान) अरुणाचलप्रदेश के 19 वर्षीय नीडो तनियम की मृत्यु के विरोध में उत्तरपूर्वी क्षेत्र के विद्यार्थियों ने संसद के समक्ष प्रदर्शन किया और नस्लवादविरोधी कानून लाने का दबाव बढ़ाया है।

समाचार के अनुसार 300 से भी ज़्यादा विद्यार्थियों ने बृहस्पतिवार 6 फरवरी को संसद के सामने धरना दिया और नीदो की हत्या की जाँच शीघ्रता से करने की माँग की है।

मालूम हो 29 जनवरी को नयी दिल्ली में उत्तरपूर्वी राज्य अरुणाचल प्रदेश के नीडो की उस समय मौत हो गयी थी जब एक दुकान में तथाकथित नस्लविरोधी छेड़खानी के बाद हुई मारपीट में छात्र की मौत हो गयी थी। इस संबंध में तीन लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।

प्रदर्शनकारी एवं सामाजिक कार्यकर्ता बीना लक्ष्मी ने कहा, "यह हमारा देश है हम बिना भय के कहीं भी जा सकते हैं।"

घटना के समय मृत नीडो के साथ रहे मित्र ने बतलाया कि दुकान में आरोपित लोगो ने उन्हें ‘चिंकी’ कह कर चिढ़ाया। यह एक ऐसा नाम है जिसे चैनीज़-मंगोल मिश्रित लोगों के लिये प्रयोग किया जाता है। ऐसे लोग तिब्बत, भूटान और म्यांमार में पाये जाते हैं।

मालूम हो कि इस प्रकार के शब्दों का प्रयोग अपराध है और इसके लिये पाँच वर्ष का कारावास भी हो सकता है। पर प्रदर्शनकार्यों ने सरकार रसे माँग की है कि वह नस्लविरोधी कानून लाये ताकि नस्लवाद को समाप्त किया जा सके।

संसद में इस मुद्दे को लेकर बहस भी हुआ जिसमें अरुणाचल प्रदेश के सांसद न कहा कि उत्तरपूर्वी क्षेत्र के विद्यार्थियों के साथ नस्लवादपूर्ण व्यवहार एक गंभीर बात है। उधर सुष्मास्वराज ने कहा है कि यह सांसदों का दायित्व है वे उनकी रक्षा करें।


विदित हो कि हाल के वर्षों में उत्तरपूर्व के विद्यार्थियों में लगातार नस्ली हमले हुए हैं। कई मामलों में अभियुक्तों को गिरफ़्तार किये गये हैं पर कई मामले तो थाना में दर्ज़ तक नहीं किये गये हैं।

वर्ष सन् 2012 के अप्रैल माह में मेघालय की एक लड़की को परीक्षा में नकल करने का आरोप लगाया गया था जिसने बाद में आत्महत्या कर ली।

सन् 2011 के अक्तूबर माह में नागालैंड की एक छात्रा के साथ दुर्व्यवहार किया गया था और उसकी रक्षा करने वाले को भी पीटा गया था।











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