वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार 6 फरवरी 2014 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने 6 फरवरी को
विश्व युवा दिवस 2014 के लिए संदेश प्रेषित किया है जो धर्मप्रंतीय स्तर पर इस वर्ष 13
अप्रैल को खजूर रविवार के दिन मनाया जाएगा। संत पापा ने ब्राजील के रियो दे जनेइरो
में आयोजित 28 वाँ विश्व युवा दिवस की याद करते हुए कहा कि यह विश्वास एवं मित्रता में
बढ़ने का सुन्दर अवसर था। उन्होंने अगले विश्व युवा दिवस की जानकारी देते हुए कहा कि
यह सन् 2016 ई. में क्राकोव में सम्पन्न होगा। उसकी तैयारी हेतु उन्होंने संत मत्ती रचित
सुसमाचार के पर्वत प्रवचन पर चिंतन करने की सलाह दी। उन्होंने बताया कि इस वर्ष के
चिंतन हेतु पर्वत प्रवचन में से प्रथम प्रवचन "धन्य है वे जो दीन- हीन हैं स्वर्ग राज
उन्हीं का है।" (5:3) को लिया गया है। वर्ष 2015 के लिए "धन्य हैं वे जिनका हृदय निर्मल
है वे ईश्वर के दर्शन करेंगे।" (मती. 5:8) और वर्ष 2016 के लिए "धन्य हैं वे जो दयालु
हैं उन पर दया की जाएगी।" (मती. 5: 7) पर चिंतन की प्रस्तावना की गयी है। संत पापा
ने पर्वत प्रवचन की अद्वितीय शक्ति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इसे पढ़ना एवं उसपर चिंतन
करना, हमें निरंतर आनन्द का एहसास देता है। येसु ने पहली बार इस प्रवचन की घोषणा गलीलिया
के समुद्र तट पर एकत्र लोगों के समक्ष की थी। जूँकि वहाँ बहुत भीड़ थी येसु प्रवचन देने
हेतु पर्वत पर चढ़ गये थे अतः यह पर्वत प्रवचन कहलाती है। पवित्र बाईबिल के अनुसार पर्वत
पर ईश्वर अपने आप को प्रकट करते हैं। पर्वत पर प्रवचन द्वारा येसु ने अपने आप को सिद्ध
कर दिया कि वे एक दैविक गुरू हैं एक नवीन मूसा। येसु स्वयं प्रवचन हैं क्योंकि ईश्वर
की सारी प्रतिज्ञाएँ उन में पूरी होती है। प्रवचन की घोषणा करते हुए येसु हम से अपना
अनुसरण करने का आह्वान करते हैं। हम प्यार के रास्ते उनका अनुसरण कर सकते हैं जो अनन्त
जीवन की ओर ले चलता है।संत पापा ने अपने संदेश के दूसरे बिन्दु "आनन्दित होने का साहस"
पर चिंतन करते हुए कहा, ‘धन्य’ का अर्थ क्या है? धन्य का अर्थ है खुश होना। क्या आप
सचमुच खुश होना चाहते हैं जब दुनिया की व्यर्थ एवं कल्पनिक खुशी हमें प्रभावित करती है?
यदि आपका हृदय बड़ी आकांक्षाओं के लिए खुला है तो आप आनन्द की अतृप्त प्यास महसूस करेंगे।
यदि आप सफलता, मनोरंजन और अधिकार की अधिक खोज करेंगे तो आप सांसारिक वस्तुओं के पूजक
बन जायेंगे। यह बात दुखद है जब एक युवा सब सुविधाओं के रहते चिंतित एवं कमजोर बन जाता
है।" संत पापा ने पर्वत प्रवचन के प्रथम बिन्दु "धन्य हैं वे जो दीन हैं" पर कहा
कि हृदय के दीन लोग धन्य हैं क्योंकि स्वर्गराज उन्हीं का है। जब आर्थिक समस्या के कारण
कई लोग दुखी और पीड़ित हैं ग़रीबी को खुशी से जोड़ना अनोखा लग सकता है किन्तु हम इसे
इस प्रकार समझ सकते हैं कि जब ईश पुत्र ने मानव रूप धारण किया तो उन्होंने गरीबी का जीवन
अपनाया। उन्होंने ईश्वरीय महिमा का परित्याग किया। संत पापा ने हृदय की दीनता के लिए
तीन बातों को रखा: सांसारिक वस्तुओं के अत्यधिक लगाव से बचना, गरीबों के प्रति दयालुता
की भावना, गरीबों के समान उदारता को अपनाना।