2014-02-04 11:59:25

कोलकाताः ईसाई लोग राजनैतिक रूप से उपेक्षित रहे हैं: एनसीसीआई


कोलकाता, 04 फरवरी सन् 2014 (ऊका समाचार): कोलकाता में, रविवार को, ख्रीस्तीय कलीसियाओं के शतवर्षीय समारोहों का उदघाटन करते हुए प्रॉटेस्टेण्ट ख्रीस्तीय सम्प्रदाय की कलीसियाओं की राष्ट्रीय परिषद ने कहा कि समाज में महत्वपूर्ण योगदान देने के बावजूद, भारत के ख्रीस्तीय धर्मानुयायी देश की मुख्यधारा में, राजनैतिक रूप से, उपेक्षित ही रहे हैं।
टेलीग्राफ दैनिक का हवाला देकर ऊका समाचार ने प्रकाशित किया कि भारत में, कलीसियाओं की राष्ट्रीय समिति के अध्यक्ष, धर्माध्यक्ष तारानाथ एस. सागर ने कहा, "कुछ लोग अभी भी यह सोचते हैं कि हम भारतीय नहीं हैं.... भारत को बेहतरीन स्कूलों, कॉलेजों, अस्पतालों एवं राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान देने के बावजूद, देश की मुख्यधारा में मौजूद राजनैतिक दलों के वादविवाद में, ख्रीस्तीयों का कोई स्थान नहीं है।"
धर्माध्यक्ष सागर ने मुस्लिम मौलवियों को अनुदान प्रदान करने के बंगाल सरकार के फैसले के सन्दर्भ में कहा, "यदि बंगाल सरकार मुस्लिम मौलवियों को अनुदान देने के लिये तैयार है तो मैं मुख्यमंत्री से निवेदन करता हूँ कि इस मानदेय का विस्तार वे ख्रीस्तीयों तक भी करें।" उन्होंने कहा कि समाज के केवल एक वर्ग को खुश करना वोट जमा करने का प्रयास है।
ग़ौरतलब है कि ममता बैनर्जी की सरकार इमामों को 2500 रुपये प्रति माह और बंगाल के मुअज़्ज़िनों को 1,000 रुपये प्रति माह मानदेय प्रदान करती है।
प्रॉटेस्टेण्ट ख्रीस्तीय सम्प्रदाय की कलीसियाओं की राष्ट्रीय परिषद की स्थापना दो फरवरी सन् 1914 ई. को कोलकाता में हुई थी। भारत में ख्रीस्तीयों की संख्या कुल मिलाकर ढाई करोड़ है जिनमें एक करोड़ बीस लाख प्रॉटेस्टेन्ट ख्रीस्तीय धर्मानुयायी हैं।








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