वाटिकन सिटी, सोमवार, 3 फरवरी 2014 (वीआर सेदोक): वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर
के प्राँगण में, रविवार 2 फरवरी को संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना
के पूर्व उन्हें संबोधित कर कहा, "अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात, आप
इस प्राँगण में बारिश से भीग रहे हैं किन्तु आप साहसी हैं। आज हम मंदिर में येसु के
अर्पण का महापर्व मना रहे हैं। इस दिन समर्पित जीवन की भी याद की जाती है जो कलीसिया
के उन सभी लोगों की याद दिलाती है जिन्होंने सुसमाचारी सलाहों के अनुसार येसु का करीब
से अनुसरण करने की आवाज सुना। आज का सुसमाचार हमें याद दिलाता है कि येसु के जन्म के
चालीस दिनों बाद, यहूदी नियम के अनुसार मरिया एवं योसेफ बालक को मंदिर में चढ़ाने और
ईश्वर को अर्पित करने हेतु, उन्हें येरूसालेम के मंदिर लाये थे। यह सुसमाचार पाठ हमें
येसु के आत्म समर्पण की घटना से अवगत कराता है कि वे पिता द्वारा प्रदत्त वरदान हैं तथा
शुद्धता, गरीबी और आज्ञाकारिता द्वारा वे पिता से अभिषिक्त हैं। ईश्वर के प्रति यह
समर्पण सभी ख्रीस्तीयों के लिए आवश्यक है क्योंकि हम सभी बपतिस्मा द्वारा उन्हें समर्पित
हैं। हम सभी येसु द्वारा येसु के समान ईश्वर के प्रति समर्पित होने के लिए बुलाये गये
हैं, परिवार में अपने कतव्यों एवं कलीसिया की सेवा में दया के कार्यों द्वारा हमारे जीवन
के एक उदार समर्पण के लिए। यह जीवन धर्मसंघियों, मठवासियों एवं समर्पित ख्रीस्तीय
विश्वासियों का व्रतों के माध्यम से, ईश्वर को पूर्ण रूप से समर्पण जो विशेष रीति से
जीने की मांग करता है। इसकी सदस्यता उन्हीं को प्राप्त होती है जो ईश राज्य के सुसमाचार
के साक्षी बनकर ईश्वर के प्रति पूर्ण रूपेण समर्पित, विशुद्ध जीवन यापन करते हैं और अंधकार
में पड़े अपने भाइयों के बीच ख्रीस्त के प्रकाश को फैलाने तथा निराश लोगों के बीच आशा
का संचार करने के लिए भेजे जाते हैं। संत पापा ने कहा कि समर्पित व्यक्ति जीवन के
विभिन्न पहलुओं में ईश्वर का प्रतीक है, सच्चाई और भ्रातृत्व में बढ़ने के लिए एक ख़मीर
है, गरीबों एवं दीन-हीन लोगों के साथ जीने की प्रतिज्ञा है अतः पूर्ण समर्पित जीवन वास्तव
में ईश्वर का वरदान है। कलीसिया के लिए ईश्वर द्वारा प्रदत्त वरदान है। प्रत्येक समर्पित
व्यक्ति हमारे लिए एक वरदान है। कलीसिया में उनकी उपस्थिति की अति आवश्यकता है जो सुसमाचार
के प्रचार, ख्रीस्तीय दीक्षा, जरूरतमंदों के प्रति उदारता, एकान्त प्रार्थना, मानव के
प्रति समर्पण, युवाओं एवं परिवारों को आध्यात्मिक सलाह, मानव परिवार में न्याय एवं शांति
के प्रति समर्पित रहकर कलीसिया को बल तथा नवीनीकरण प्रदान करते हैं। संत पापा ने
कहा कि हम ज़रा गौर करें यदि धर्म बहनें अस्पतालों, स्कूलों एवं मिशन क्षेत्रों में सेवारत
नहीं होतीं तो क्या होता? हम धर्मबहनों के बिना कलीसिया की कल्पना करें। नहीं हम ऐसी
कल्पना नहीं कर सकते हैं। मैं एक उपहार हूँ एक ख़मीर जो ईश प्रजा को आगे ले चलता हूँ।
धर्मसंघी महान नारियाँ हैं जो अपना जीवन समर्पित करतीं एवं येसु के संदेश को लेकर चलती
हैं। कलीसिया तथा संसार को ईश्वर के लोगों द्वारा प्यार और दया के साक्ष्य की आवश्यकता
है। धर्मसंधी भाई बहनें इस बात की भी साक्षी हैं कि ईश्वर भले और दयालु हैं। इस प्रकार
यह आवश्यक है कि समर्पित जीवन के प्रति कृतज्ञता की भावना को बढ़ाया जाए, विभिन्न धर्म
समाजों की विशिष्टताओं एवं आध्यात्मिकताओं में गहनता प्राप्त की जाए। युवाओं के लिए प्रार्थना
करें ताकि वे धर्मसंघी बुलाहट में आगे आयें, प्रभु उन्हें समर्पित जीवन अपना कर निःस्वार्थ
सेवा देने का निमंत्रण देते हैं उसका साकारात्मक प्रत्युत्तर दें। अपना जीवन ईश्वर तथा
लोगों की सेवा में अर्पित करें। इन सभी कारणों से जो ऊपर कहा जा चुका है आगामी वर्ष
2015, विशेष रूप से, समर्पित जीवन का वर्ष होगा। हम इस प्रार्थना को धन्य कुवाँरी मरिया
एवं संत योसेफ की मध्यस्थता द्वारा ईश्वर को अर्पित करें जिन्होंने येसु के माता-पिता
होने के द्वारा अपना जीवन समर्पित किया, वे समर्पित जीवन जीने वालों में प्रथम हैं। इतना
कहने के बाद संत पापा ने विश्वासी समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी
को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया। देवदूत प्रार्थना समाप्त करने के पश्चात् उन्होंने
परिवारों, पल्लियों, संस्थाओं एवं देश-विदेश से एकत्र सभी तीर्थ यात्रियों एवं पयर्टकों
का अभिवादन किया। उन्होंने लोगों को सम्बोधित कर कहा, "आज इटली में ‘जीवन समर्थक
दिवस’ मनाया जा रहा है जिसकी विषय वस्तु है ‘भविष्य का निर्माण’। इससे संबंधित सभी संगठनों,
आयोगों एवं सांस्कृतिक केन्द्रों का मैं अभिवादन करता एवं उन्हें जीवन की रक्षा के लिए
प्रोत्साहन देता हूँ। मैं इटली के धर्माध्यक्ष के साथ दोहराता हूँ ‘प्रत्येक बच्चा ईश्वर
का चेहरा, जीवन का प्यार परिवार एवं समाज के लिए उपहार है।’ प्रत्येक अपनी भूमिका एवं
क्षेत्र के आधार पर यह एहसास करे कि जीवन को प्यार करने, स्वीकार करने, सेवा करने, उसका
सम्मान करने एवं प्रोत्साहन देने के लिए बुलाया गया है। विशेष कर जब यह नाजुक है एवं
इसकी देख रेख करने की आवश्यकता है, गर्भ से लेकर मृत्यु के अंतिम क्षण तक। मैं इस विभाग
के संस्थापकों को धन्यवाद देता हूँ। अंत में संत पापा ने उपस्थित सभी लोगों को शुभ
रविवार की मंगलकामनाएँ अर्पित की।