2014-01-31 13:07:36

तीन स्तम्भ - नम्रता, विश्वसनीयता, प्रार्थना



वाटिकन सिटी, शुक्रवार 31 जनवरी, 2014 (सेदोक,वीआर) "एक ख्रीस्तीय की तीन विशेषतायें हैं - नम्रता, विश्वसनीयता और प्रार्थना।" उक्त बात संत पापा फ्राँसिस ने उस समय कही जब उन्होंने 30 जनवरी वृहस्पतिवार को वाटिकन स्थित सांता मार्ता प्रार्थनालय में यूखरिस्तीय समारोह के दौरान प्रवचन दिये।

संत पापा ने कहा कि बपतिस्मा का पहला कार्य है हमें कलीसिया का अभिन्न अंग बनाना अर्थात ईशपरिवार का सदस्य बनाना।

उन्होंने संत पापा पौल षष्टम की बातों को याद कराते हुए कहा "कलीसिया के बिना येसु के प्रेम का दावा करना बेतुका है। यह कहना कि हम येसु की सुनते हैं पर कलीसिया की नहीं, या यह कहना कि हम ख्रीस्त के साथ हैं, कलीसिया के हाशिये पर हैं, सब असंगत है।"

संत पापा ने कहा, "ईशवचन कलीसिया के द्वारा हम तक पहुँचता है इसलिये पवित्रता का रास्ता कलीसिया के दायरे में ही खोजे जाने की आवश्यकता है।"

उन्होंने कहा, " कलीसियाई जीवन के तीन स्तंभ हैं जिसमें विनम्रता प्रथम हैं जिसमें व्यक्ति इस बात को समझ पाता है कि मुक्ति का इतिहास हमसे न आरंभ होता है न ही अंत होता है। एक व्यक्ति जो नम्र नहीं है, वह कलीसिया का अनुभव नहीं करता पर बस अपनी ज़रूरतों को पूरा करना चाहता है। ठीक इसके विपरीत, नम्रता हमें इस बात के लिये मदद करता है कि हम इस बात का गहरा अनुभव करें कि हम ईश्वरीय प्रजा की एक भाग हैं।"

कलीसियाई जीवन का दूसरा स्तंभ है कलीसियाई शिक्षा के प्रति वफ़ादारी। हमारे लिये सुसमाचार एक वरदान है जिसे हमे पूरी ईमानदारी से दूसरों को बताना है ने कि यह समझना कि यह बस हमारे लिये हैँ।

संत पापा ने कहा कि कलीसिया जीवन का तीसरा स्तंभ है – प्रार्थना। हमें चाहिये कि हम कलीसिया और पूरी दुनिया के लिये प्रार्थना करें न सिर्फ गिरजाघर में पर अपने घर में भी।

संत पापा ने प्रार्थना की कि ईश्वर हमें मदद करे ताकि हम उसके पथ पर चलें और गहराई से इस बात का अनुभव करें कि हम कलीसिया के सदस्य है।













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