संत पापा ने प्रभु द्वारा अभिषिक्त व्यक्तियों की सराहना की
वाटिकन सिटी, मंगलवार, 28 जनवरी 2014 (सीएनए): वाटिकन स्थित संत मार्था प्रेरितिक आवास
के प्रार्थनालय में, सोमवार 27 जनवरी को पावन ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए संत पापा फ्राँसिस
ने याजकों के अभिषेक के महत्व एवं कलीसिया में उनकी सेवकाई की सार्थकता पर प्रकाश डाला।
संत पापा उपदेश में सामूएल के ग्रंथ में राजा दाऊद के अभिषेक पर चिंतन कर रहे थे।
उन्होंने उपस्थित विश्वासियों से कहा, "आज हम दाऊद के अभिषेक पर चिंतन करें, यह हमें
साहसी, पवित्र, भले और विश्वस्त धर्माध्यक्षों एवं पुरोहितों की याद दिलाती है। हम उनके
लिए प्रार्थना करें एवं उन्हें धन्यवाद दें।" उन्होंने कहा, "अभिषेक के बिना राजा
दाऊद इस्राएल सम्राज्य का मात्र एक राजनीतिक नेता या कम्पनी मालिक रह जाता, मगर अभिषेक
के पश्चात् प्रभु का आत्मा उस पर उतरा तथा उसके साथ रहा। संत पापा ने कहा कि यही अंतर
है एक व्यक्ति एवं अभिषिक्त व्यक्ति में।" संत पापा ने कहा कि जो अभिषिक्त है वह
प्रभु द्वारा चुना गया है। धर्माध्यक्ष एवं पुरोहित प्रभु द्वारा चुने गये हैं। वे एक
संस्था के संचालन मात्र के लिए नहीं चुने गये हैं जो स्थानीय कलीसिया कहलाती है किन्तु
वे अभिषिक्त हैं। संत पापा ने एक विशेष सच्चाई पर ध्यान देते हुए कहा कि यद्यपि वे
अभिषिक्त हैं एवं प्रभु का आत्मा उनके साथ है किन्तु धर्माध्यक्ष भी एक पापी एवं कमजोर
है। पापी होने के बावजूद वह अभिषिक्त हैं।" हम सभी प्रतिदिन अधिक पवित्र बनना चाहते
हैं अभिषेक के प्रति अधिक विश्वस्त रहना चाहते हैं। एक धर्माध्यक्ष ख्रीस्त के नाम पर
कलीसिया का निमार्ण करता है इसलिए नहीं कि वह बहुमत से चुना गया है किन्तु वह अभिषिक्त
है। इस अभिषेक के कारण स्थानीय कलीसिया बल प्राप्त करती है क्योंकि धर्माध्यक्ष अपनी
प्रेरिताई की जिम्मेदारी को संभालता है। संत पापा ने कहा कि अभिषेक धर्माध्यक्षों
एवं पुरोहितों को प्रभु के करीब लाता है उन्हें विश्वासियों को आगे ले चलने, उनकी मदद
करने तथा विश्वासियों की सेवा करने का बल प्रदान करता है। यह उन्हें प्रभु द्वारा चुने
गये व्यक्ति होने के आनन्द का एहसास कराता है। दूसरी ओर, इसे समझना कठिन ही नहीं,
इसकी व्याख्या करना भी असम्भव है कि किस प्रकार कलीसिया सिर्फ मानवीय शक्ति से आगे बढ़
सकता है। संत पापा ने कहा कि धर्मप्रांत अपने पवित्र विश्वासियों एवं अभिषिक्तों द्वारा
आगे जा सकता है जो वे इसे आगे बढ़ने में मदद करते हैं।" संत पापा ने इतिहास पर नजर
डालते हुए कहा कि हम इसके छोटे भाग से परिचित हैं किन्तु कितने पवित्र धर्माध्यक्ष एवं
कितने पवित्र पुरोहितों ने धर्मप्रांतों एवं पल्लियों की सेवा में अपना जीवन समर्पित
किया है। कितने लोगों ने विश्वास, भरोसा और प्रेम की शक्ति को पुरोहितों द्वारा ग्रहण
किया है। देश या शहरों के पल्ली पुरोहितों ने पवित्र अभिषेक से लोगों को आध्यात्मिक शक्ति
प्रदान की है उन्होंने विश्वास करना सिखलाया एवं पवित्र संस्कारों का अनुष्ठान किया है। संत
पापा ने याजकों की आलोचना करनेवालों से कहा कि हम याजकों के बारे समाचारों में कई ऐसी
बातों को पाते हैं जो अच्छे नहीं होते किन्तु क्या समाचार पत्र, उन सभी अच्छाई, उदारता
एवं भलाई के समाचारों को जगह देता है जो पुरोहितों द्वारा समाज में सम्पन्न किये जाते
हैं? संत पापा ने कहा कि ये सभी समाचार नहीं हैं यह हमेशा से होता रहा है एक गिरता
हुआ पेड़ बढ़ते हुए जंगल की तुलना में अधिक आवाज करता है। संत पापा ने अंत में अभिषेक
पर चिंतन करने का निमंत्रण दिया तथा उन साहसी, पवित्र, भले और विश्वस्त धर्माध्यक्षों
एवं पुरोहितों को धन्यवाद दिया तथा उनके लिए प्रार्थना करने का आग्रह किया।