वाटिकन सिटीः मानव परिपक्वता ज़रूरी, सन्त पापा फ्राँसिस रोमी न्यायाधिकरण से
वाटिकन सिटी, 25 जनवरी सन् 2014 (सेदोक): वाटिकन स्थित "रोता रोमाना" अर्थात् काथलिक
कलीसिया के सर्वोच्च अपीलीय न्यायाधिकरण और उच्चतम साधारण परमधर्मपीठीय अदालत के न्यायिक
वर्ष का उदघाटन कर, शुक्रवार 24 जनवरी को, सन्त पापा फ्राँसिस ने न्यायाधिकरण के अधिकारियों
को सम्बोधित किया। परमधर्मपीठीय अदालत के न्यायाधीशों एवं अधिकारियों को दिये
अपने पहले व्याख्यान में सन्त पापा फ्राँसिस ने सर्वप्रथम आदर्श न्यायाधीश का रेखाचित्र
प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि मानवीय स्तर पर, "एक न्यायाधीश के लिये परिपक्व होना
ज़रूरी है।" उन्होंने कहा कि न्याय देने वाले को "अपने वैयक्तिक विचारों से अनासक्त,
निर्लिप्त एवं तटस्थ रहना चाहिये जिससे वह उस समुदाय की वैध आकाक्षाओं पर खरा उतर सके
जिसकी वह सेवा करता है।" न्यायाधीश को किस प्रकार अपने अधिकारों का उपयोग करना चाहिये
इस पर बोलते हुए सन्त पापा ने कहा कि हर स्थिति में निष्पक्षता की आवश्यकता है जो न्यायाधीश
को अपने व्यक्तिगत विचारों एवं मतों से दूर रहकर न्यायिक निर्णय दोने में सहायता प्रदान
करती है। कलीसियाई अदालत के न्यायाधीश के प्रेरितिक मिशन की व्याख्या कर सन्त पापा
फ्राँसिस ने कहा, "न्यायाधीश में सेवाभाव का होना अनिवार्य है क्योंकि, वस्तुतः, वह न्याय
का सेवक है तथा विश्वासपूर्वक उसके समक्ष प्रस्तुत होनेवाले व्यक्तियों को न्याय देने
के लिये बुलाया गया है।"