मानवीय तरीकों से भिन्न है ईश्वर के प्यार करने का तरीका
वाटिकन सिटी, बुधवार 22 जनवरी 2014 (सीएनए): संत पापा फ्राँसिस ने 21 जनवरी को वाटिकन
स्थित प्रेरितिक आवास के संत मार्था प्रेरितिक आवास में पावन ख्रीस्तयाग अर्पित करते
हुए प्रवचन में ईश्वर का हमारे साथ व्यक्तिगत संबंध के महत्व पर प्रकाश डाला। ‘ईश्वर
तथा छोटे या नगन्य लोगों के बीच संबंध’ पर चिंतन करते हुए उन्होंने ईश्वर द्वारा हमेशा
दीन हीन लोगों के चुनाव पर ग़ौर फरमाया। संत पापा ने प्राचीन व्यस्थान के सामुएल के
ग्रंथ से लिए गये पाठ पर चिंतन प्रस्तुत किया जहाँ ईश्वर भाइयों में से सबसे छोटे एवं
कमजोर दाऊद को इस्राएल का राजा नियुक्त किया। संत पापा ने ईश्वर के साथ हमारे व्यक्तिगत
संबंध पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हम ईश प्रजा के सदस्य हैं जहाँ सभी लोगों का अपना स्थान
निर्धारित है। यद्यपि हम ईश प्रजा के समुदाय से आते हैं तथापि ईश्वर हम से समूह में नहीं
बोलते हैं। वे हमेशा व्यक्तिगत एवं नाम लेकर बातें करते हैं। वे हमें व्यक्तिगत रूप
में चुनते हैं। उत्पति ग्रंथ हमें बतलाता है कि ईश्वर ने अपने हाथों से मनुष्य की सृष्टि
की तथा उसे एक नाम प्रदान किया, ‘आदम’। इस प्रकार ईश्वर एवं मनुष्य के बीच संबंध की कहानी
की शुरूआत होती है। दूसरी बात ये है कि ईश्वर का संबंध दीन लोगों के साथ है। जब वे लोगों
को चुनते हैं तो वे प्रायः छोटों या दीन-हीन लोगों को चुनते हैं।" संत पापा ने याद किया
कि किस प्रकार माता मरिया अपने भजन में ईश्वर का गुणगान करती है, "प्रभु ने अपनी दीन-दासी
पर कृपा दृष्टि की है।" संत पापा ने कहा कि यह तथ्य स्पष्ट झलकता है जब सामुएल येस्से
के जेष्ठ पुत्र पर दृष्टि लगाता और उसके सुडौल शरीर देख सोचता कि यही प्रभु का अभिषिक्त
होगा किन्तु ईश्वर उससे तुरन्त कहते हैं ‘मैंने उसे नहीं चुना है क्योंकि मेरे लिए मानवीय
दृष्टिकोण का कोई अर्थ नहीं है।’ उसके विपरीत, ईश्वर ने सबसे छोटे पुत्र दाऊद को चुना
जो अपने पिता के लिए महत्वपूर्ण नहीं था। संत पापा ने कहा कि चुनाव करने का ईश्वर
का अपना मापदण्ड है तथा वह संसारिक मापदण्ड से भिन्न है। संसार की दृष्टि में महान लोगों
को नीचा दिखाने के लिए ईश्वर कमजोर एवं दीन व्यक्तियों को चुनते हैं। संत पापा ने
कहा कि बपतिस्मा संस्कार में हम ईश्वर द्वारा चुने गये हैं। उन्होंने हमें एक-एक कर चुना
है। हमें एक नाम दिया है, वे हमारी देखभाल करते हैं। इस प्रकार उनसे हमारा संबंध है क्योंकि
ईश्वर के प्यार करने का तरीका मानवीय तरीकों से भिन्न है। संत पापा ने ईश्वर के साथ
संबंध में मानवीय पहलू पर विचार करते हुए कहा कि दाऊद ने आगे चलकर एक बड़ी गलती की, किन्तु
जब उसे अपनी भूल का एहसास हुआ तो उसने दीन बनकर अपनी भूल स्वीकार की, पश्चताप किया एवं
पापों के लिए ईश्वर से क्षमा माँगी। संत पापा ने कहा कि पश्चताप, प्रार्थना एवं आँसु
बहाकर उसने अपनी नगन्यता के भाव को बनाये रखा। हमें आश्चर्य हो सकता है कि ख्रीस्तीय
विश्वासनीयता, ख्रीस्तीय निष्ठा एवं वफादारी ही हमारे छोटेपन या नगन्यता को बनाये रख
सकता है। इसी कारण, दीनता, सौम्यता और विनम्रता जैसे सदगुण ख्रीस्तीयों के जीवन में इतने
महत्वपूर्ण हैं। अंत में संत पापा ने दाऊद एवं माता मरिया की मध्यस्थता द्वारा
प्रार्थना की कि ईश्वर हमें कृपा प्रदान करें जिससे कि हम अपने छोटेपन या विनम्रता के
गुण को बरकारार रख सकें।