वाटिकन सिटी, सोमवार 20 जनवरी 2014 (वीआर सेदोक): वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर
के प्रांगण में, रविवार 19 जनवरी को, संत पापा फ्राँसिस ने विश्वासियों के साथ देवदूत
प्रार्थना के पाठ से पूर्व उन्हें इस प्रकार संबोधित किया, "अति प्रिय भाइयो एवं बहनो,
सुप्रभात, पिछले सप्ताह प्रभु येसु के बपतिस्मा महापर्व के साथ हमने धर्मविधिक
पंचांग के ‘सामान्य काल’ में प्रवेश किया। आज इस दूसरे रविवार को सुसमाचार हमें यर्दन
नदी में योहन बपतिस्ता के साथ येसु की मुलाकात का दृश्य प्रस्तुत करता है जिसका आँखों
देखा हाल सुसमाचार लेखक संत योहन हमें बता रहे हैं। संत योहन अपने भाई याकूब तथा सिमोन
एवं अंद्रेयस के साथ योहन बपतिस्ता के शिष्य थे, वे सभी गलीलिया के मछुए थे। योहन बपतिस्ता
येसु को देखकर भीड़ में आगे बढ़ता है तथा पवित्र आत्मा से प्रेरित होकर, ईश्वर के संदेशवाहक
को पहचान लेता है। वह येसु की ओर इशारा कर अपने शिष्यों से कहता है, "देखो ईश्वर का मेमना,
जो संसार का पाप हर लेता है।" (यो.1:29) संत पापा ने संत योहन बपतिस्ता के शब्दों
का अर्थ बतलाते हुए कहा, "हर लेना" का शब्दिक अर्थ है "उठाना।" अपने ऊपर ले लेना। येसु
इस संसार में एक विशेष मिशन लेकर आये हैं, वह मिशन हैः पाप के बंधन से मुक्त करना, मानव
जाति के पापों का ऋण चुकाना। किस प्रकार? प्यार के माध्यम से। बुराई और पाप पर विजय पाने
का दूसरा कोई उपाय नहीं है किन्तु प्यार जो उनके जीवन को अन्यों के लिए उपहार में बदल
देता है। योहन बपतिस्ता के साक्ष्य में प्रभु के दास येसु की विशेषता झलकती है जिन्होंने
हमारे दुखों को अपने ऊपर ले लिया तथा क्रूस पर मर गये। वे पास्का के सच्चे मेमने हैं
जिन्होंने हमें शुद्ध करने हेतु पाप की नदी में डुबकी लगा ली। एक व्यक्ति जिन्हें ईश्वर
ने संसार के पाप हरने के लिए बलिदान के मेमने की तरह भेजा यद्यपि उनके लिए बपतिस्मा
लेना आवश्यक नहीं था तथापि योहन बपतिस्ता उन्हें बपतिस्मा लेने वाले पापियों की कतार
में देखते हैं। नये व्यवस्थान में "मेमना" शब्द कई बार प्रयोग किया गया है तथा हमेशा
येसु के लिए ही। वास्तव में, मेमना एक ऐसा पशु है जो अधिक बलवान नहीं है और न ही भारी
समान अपने कंधो पर ढो सकता है। संत पापा ने कहा कि बुराई की एक बड़ी गठरी एक कमजोर
एवं नाजुक प्राणी द्वारा हटा दी गयी। यह आज्ञाकारिता, अधीनता और प्रेम का प्रतीक है जो
अपने आप के त्याग से आता है। मेमना एक शासक नहीं है किन्तु अधीनस्त है आक्रमक नहीं किन्तु
शांत, वह किसी आक्रमण में दाँत नहीं किन्तु गाल दिखाता है वह सब कुछ सह लेता है। ठीक
उसी मेमने की तरह येसु हैं। संत पापा ने प्रश्न किया: कलीसिया एवं हमारे लिए आज ईश्वर
के मेमने येसु का शिष्य होने का अर्थ क्या है? इसका अर्थ है द्वेष की जगह मासूमियत को
रखना, बल की जगह प्रेम, वरिष्ठता के स्थान पर विनम्रता तथा प्रतिष्ठा के स्थान पर सेवा
को रखना है। यह एक अच्छा काम है, जिसे हम ख्रीस्तीयों को करना चाहिए। द्वेष की जगह मासूमियत,
बल की जगह प्रेम, वरिष्ठता की जगह विनम्रता तथा प्रतिष्ठा की जगह सेवा को महत्व देना।
मेमने के अनुयायी होने का अर्थ ‘सुदृढ़ किला’ में जीना नहीं है बल्कि पहाड़ पर बसे उस
शहर में जो उदार आतिथ्यपूर्ण एवं अन्यों के प्रति एकात्म है। इसका अर्थ अपने आप में बंद
होना नहीं है। बल्कि इस बात का साक्ष्य प्रस्तुत करते हुए कि ख्रीस्त का अनुसरण हमें
स्वतंत्र करता तथा अधिक आनन्द प्रदान करता है। सबके लिए सुसमाचार की प्रस्तावना करना। इतना
कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को
अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया। देवदूत प्रार्थना के पश्चात् संत पापा ने कहा,
प्रिय भाइयो एवं बहनो, आज हम विश्व प्रवासी और शरणार्थी दिवस मना रहे हैं जिसके विषय
‘प्रवासी और शरणार्थी एक बेहतर दुनिया की ओर’, पर मैंने कुछ दिनों पूर्व प्रकाशित अपने
संदेश पर चिंतन किया है। मैं सभी तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों का अभिवादन करता हूँ। प्रिय
भाइयो एवं बहनो आप कलीसिया के हृदय के करीब हैं क्योंकि कलीसिया ईश्वर के राज्य की ओर
यात्रा कर रही है जिसे येसु हमारे बीच लाये।। बेहतर भविष्य की आशा न खोयें। मैं उन राष्ट्रों
को शांति की शुभकामनाएँ देता हूँ जो आपका स्वागत करते एवं आपकी संस्कृति की क़दर करते
हैं। मैं उन सभी को धन्यवाद देता हूँ जो प्रवासियों के साथ काम करते, उनको स्वीकारते
एवं कठिनाईयों में उनकी सहायता करते हैं। मैं संत चार्ल्स को समर्पित धर्मसमाज के सदस्यों
एवं स्कालाब्रीनी पुरोहितों एवं धर्मबहनों को धन्यवाद देता हूँ जो कलीसिया की अत्यधिक
भलाई करते एवं प्रवासियों के साथ प्रवासी बन जाते हैं। मैं इस समय सभी प्रवासियों एवं
शरणार्थियों की याद करता एवं माता मरिया से प्रार्थना करता हूँ। अंत में संत पापा
ने सभी को शुभ रविवार की मंगलकामनाएँ अर्पित की।