नई दिल्ली, सोमवार 20 जनवरी 2014 (बीबीसी) अमरीकी शोध संस्था पिउ रिसर्च सेंटर के एक
अध्ययन के मुताबिक़ दुनिया भर में मज़हब की वजह से पैदा होने वाले सामाजिक तकरार में
बढ़ोतरी हुई है। इस शोध में विश्व के 198 देशों को आधार बनाया गया था और इसमें साल
2007 से 2012 के आंकड़ों को शामिल किया गया। शोध में पाया गया कि इनमें से अब एक तिहाई
मुल्क ऐसे हैं जहां धर्म के आधार पर पनपा सामाजिक विद्वेष बढ़ा है। साल 2011 में ऐसे
देशों या क्षेत्रों की संख्या महज़ 29 फीसदी थी। शोध में ये भी पाया गया कि कई क्षेत्र
जैसे यूरोप के कुछ ऐसे मुल्क हैं जहां धर्म पर लगाई गई सरकारी पाबंदी में भी इज़ाफा हुआ
है। रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया की सबसे ज़्यादा आबादी वाले मुल्कों में पाकिस्तान,
बर्मा, मिस्र, इंडोनेशिया और रूस में लोगों को साल 2012 में सबसे ज़्यादा धार्मिक विद्वेष
का सामना करना पड़ा। उधर अफ्रीकी देशों में, जहां मौजूद सत्ता के ख़िलाफ़ विद्रोह
के झंडे बुलंद हो रहे थे, ईसाई धार्मिक स्थलों, के घरों और व्यापारिक संस्थानों पर हमले
किए गए और लोगों की हत्याएं भी हुईं। मिस्र में सरकार के माध्यम से धार्मिक पाबंदियां
लगाने का मामला सबसे ज़्यादा नज़र आया। भारत के कर्नाटक में युवाओं की एक डांस पार्टी
पर हिंदू जागरण के हमले का जिक्र उन मामलों के बीच किया गया है जिनमें संस्कृति या अपनी
मान्यताओं को मनवाने के नाम पर जोर जबरदस्ती की गई। इस तरह के मामलों का जिक्र सोमालिया
और वियतनाम के संबंध में भी किया गया है। पाकिस्तान में धर्म के आधार पर फैले सामाजिक
विद्वेष में पहले के मुकाबले कोई कमी नहीं आई और वो इस तरह के देशों की सूची में साल
2012 में भी सबसे ऊपर रहा। वहां हिंदुओं की लड़कियों को जबरन मुसलमान बनाकर शादी करवाए
जाने के एक मामले में धनबाई नाम की एक महिला ने बीबीसी को बताया कि उनकी बेटी एक दिन
काम पर कई तो वापस ही नहीं आई. बाद में पता चला कि उसकी शादी हो गई। ग़ौरतलब है कि
वहां के कई कानून भी अल्पसंख्यकों और कई लोगों के ख़िलाफ़ हैं।