2014-01-18 10:37:08

‘भारतीय ख्रीस्तीय महिला मंच’ महिलाओं और ज़रूरतमंदों की आवाज़


बँगलोर, शुक्रवार 17 जनवरी 2014 (सीएनएस) बंगलोर में द्वितीय वाटिकन महासभा और महिलाओं पर उसका प्रभाव विषय चार दिवसीय सेमिनार के बाद 11 जनवरी को ‘भारतीय ख्रीस्तीय महिला मंच’ का गठन किया है जो महिलाओं की आवाज़ बनेगी और उनके लिये हित के लिये कार्य करेगी।

भारतीय धर्माध्यक्षीय परिषद् (सीबीसीआई) के सरंक्षण में कार्यरत महिला प्रतिनिधियों ने मंच के बारे में जानकारी देते हुए, "अगर हम चाहते हैं कि पुरुषप्रधान मानसिकता को बदलें तो हमें चाहिये नारी प्रधान विचारधार की ताकि लिंग संवेदना तथा समावेशी भाषा की भावना बढ़े, सीमायें टूटें ताकि हम नये तरीके से सोचेंगे और कार्य कर करें।"

मंच के संयोजकों ने संयुक्त रूप से अपना वक्तव्य देते हुए कहा कि महिलाओं का यह मंच राष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं, ज़रूरतमंदों और कमजोर वर्ग के लोगों की आवाज़ बनेगा।

उन्होंने कहा कि अन्यायपूर्ण तरीके से बँटी हुई दुनिया में कलीसिया अपनी प्रभावी भूमिका निभाने में असमर्थ रही है। ऐसे समय में धर्मसमाजियों के समक्ष यह चुनौती है कि वे ईश्वर और लोगों के प्रति समर्पित हों और उन्हें मदद दें ताकि वे विभिन्न प्रकार के शोषणों तथा उत्पीड़िनों से मुक्त हो सकेँ।

सभा को संबोधित करते हुए बँगलोर के महाधर्माध्यक्ष बेरनार्ड मोरास ने संत पापा फ्राँसिस की बातों को उद्धृत करते हुए कहा कि "नारियों के बिना कलीसिया ‘प्राणररहित शरीर’ है।"

भारतीय महिला मंच ने एक तदर्थ समिति बनायी है ताकि इसमें अन्य महिला संगठनों को भी जोड़ा जा सके और इसके कार्यों को एक आंदोलन का रूप दिया जा सके।

‘नैशनल बिबलिकल, कटेकेटिकल एंड लिटर्जीकल सेन्टर’ के निदेशक फादर क्लेवोफस फर्नान्डेज़ ने बतलाया कि सन् 2008 ईस्वी में धर्माध्यक्षों ने महिला सशक्तिकरण के लिये 12 सूत्री कार्यक्रम बनाया था पर उसे पूर्ण रूप से लागू नहीं किया जा सका है। लिंग जागरुकता भी विभिन्न धर्मप्राँतों में अपेक्षा से कम है।









All the contents on this site are copyrighted ©.