ईश्वर के पुत्र-पुत्रियाँ होने के वरदान का तिरस्कार न करें
वाटिकन सिटी, शनिवार, 18 जनवरी 2014 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित
सान्ता मार्था प्रेरितिक प्रसाद के प्रार्थनालय में शनिवार 18 जनवरी को अर्पित यूखरिस्तीय
बलिदान में, उन विश्वासियों को सचेत किया जो फैशन भरे जीवन के लिए ईश्वर के पुत्र पुत्रियाँ
होने के वरदान को बेच डालते हैं। संत पापा ने उपदेश में सामूएल के ग्रंथ से लिए गये
पाठ पर चिंतन प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा प्राचीन व्यवस्थान में यही यहूदियों का प्रलोभन
था। उन्होंने कहा "एक ख्रीस्तीय होने के नाते साधारण दिनचर्या के विपरीत हमें ईश्वर
के प्रति विश्वस्त रहने के लिए सक्रिय प्रयास करना चाहिए। माया के प्रलोभन में पड़कर
अपना सब कुछ नहीं बेच देना चाहिए मानो कि ईश्वर है ही नहीं। हम प्रायः ईश वचन को भूल
जाते हैं तथा उसके विपरीत अधिक फैशन एवं मनोरंजन भरे वचनों को सुनना पसंद करते हैं।"
संत पापा ने माया जाल की गंभीरता से अवगत कराते हुए कहा कि यह सच है कि ख्रीस्तीय
सादे विचार के होते हैं किन्तु यह भी आवश्यक है कि वे ईश्वर के वचनों को मन में संचित
रखें जो उन्हें कहता है ‘तुम मेरी प्रजा हो, मैंने तुमको चुना है मैं तुम्हारे साथ हूँ।’
हमें सामान्य जीवन में हीन महसूस करने के प्रलोभन से भी बचना चाहिए क्योंकि यह प्रलोभन
हमारे हृदय को कठोर कर देता है। जब हृदय कठोर हो जाता है ईश्वर का वचन उसमें प्रवेश नहीं
कर सकता है। हम संसारिक माया के लिए अपने हृदय को नरम न बनायें बल्कि हमारा हृदय ईश्वर
की वाणी के लिए खुला हो, उसे स्वीकार करे, जिससे कि हम ईश्वर की चुनी हुई प्रजा से अलग
न कर दिये जाएँ। संत पापा ने अंत में प्रार्थना की ताकि हम अपने स्वार्थ एवं पसंद
के घेरे से बाहर आ सकें तथा ईश्वर के वचन सुनें जो हमें सत्य पथ पर अग्रसर करता है।