वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 16 जनवरी 2014 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन
स्थित सान्ता मार्था प्रेरितिक प्रसाद के प्रार्थनालय में वृहस्पतिवार 16 जनवरी को अर्पित
यूखरिस्तीय बलिदान में, कलीसिया में कलंक के कारणों को उज़ागर किया। संत पापा ने कहा,
"कलीसिया में कलंक का कारण है ईश्वर तथा उनके वचन के साथ हमारे सजीव संबंध का अभाव। एक
भ्रष्ट पुरोहित ईश प्रजा को जीवन की रोटी के बदले विषयुक्त भोजन पोसता है।" संत पापा
ने उपदेश में सामुएल के ग्रंथ से लिए गये पाठ पर चिंतन प्रस्तुत किया जिसमें इस्राएल
का फ़िलिस्तियों से हारे जाने की घटना का वर्णन है। बाईबिल में कहा गया है कि उस समय
ईश्वर की वाणी बहुत कम सुनाई पड़ती थी। याजक एली धर्मी था किन्तु उसके पुत्र भ्रष्ट।
इस्राएलीयों ने फ़िलिस्तियों से युद्ध करने के लिए ईश्वर की मंजूषा का इस्तेमाल किया किन्तु
एक जादू की तरह और अंत में उनकी हार हो गयी। संत पापा ने कहा, "यह पाठ हमें चिंतन
करने के लिए प्रेरित करता है कि ईश्वर के साथ तथा उनकी वाणी के साथ हमारा संबंध कैसा
है। क्या यह एक औपचारिक संबंध है? क्या यह दूर का रिश्ता है?" ईशवाणी जब हमारे हृदय
में प्रवेश करती है तो यह हमारे हृदय को परिवर्तित कर देती है किन्तु जो हृदय ईशवाणी
के लिए खुली नहीं है वह कलीसिया की पराजय का कारण बनती है। संत पापा ने कलीसिया की
पराजय की याद करते हुए कहा कि हम उसके लिए शार्मिंदा हैं। विशेषकर पुरोहितों, धर्माध्यक्षों
एवं ख्रीस्त विश्वासियों के पराजय के लिए। उनके हार का कारण है उनके जीवन में ईश्वर की
वाणी का अभाव। उनका संबंध ईश्वर से नहीं था। कलीसिया में उनकी एक सत्ता एवं सुविधाएँ
थी। उनके भ्रष्ट आचरण से कलीसिया कलंकित हुई है। अंत में संत पापा ने ईश्वर से
प्रार्थना की कि हम ईश वचन को कभी न भूलें जो जीवित वचन है। उन्होंने याजकों के लिए प्रार्थना
की कि वे ईश्वर की प्रजा का उचित देखभाल करें।